व्यंग्य : सरकारी चिकन पार्लर और मैं
अक्षय नेमा मेख | सोमवार,फ़रवरी 12,2018
सुबह-सुबह चाय की चुस्की के साथ अखबार पर नजर दौड़ा रहा था कि अचानक नजर ठिठककर ठहर गई। नजर के घोड़ों का दम फूल चुका था और ...
वर्तमान परिस्थितियों पर कविता : न्याय की देवी...
अक्षय नेमा मेख | शुक्रवार,जनवरी 19,2018
हे देवी...! क्या तुम भूल गई, धर्म, वर्ग, जाति, अमीरी-गरीबी, हैसियत-औकात, सब छोड़कर, मंदिर-मस्जिदों के,
किसान जाए तो जाए कहां?
अक्षय नेमा मेख | गुरुवार,जनवरी 4,2018
आज किसान दिवस है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की जयंती। चौधरी चरण सिंह किसानों के ...
विश्वास से ही आता है प्रेम...
अक्षय नेमा मेख | शनिवार,जुलाई 29,2017
किसी से यह कह देना कि 'मैं तुमसे प्यार करता हूं' और उस शख्स के प्रति मन में कोई विश्वास के भाव न हो, तो क्या प्रेम करने ...
किसान आंदोलन पर कविता : सरकारों सुनो
अक्षय नेमा मेख | गुरुवार,जून 8,2017
एक-एक किसान की हाय..!
उनकी पत्नियों और
बेटा-बेटियों की गालियां भी।
सरकारों सुनो...
व्यंग्य - लोकतंत्र या मूर्खतंत्र
अक्षय नेमा मेख | सोमवार,अप्रैल 3,2017
आज मूर्ख दिवस है और हमारा सौभाग्य कि हमारे यहां मूर्ख बनने व बनाने का कार्य किसी कैलेंडर की तारीख पर निर्भर नहीं करता। ...
गांधी जी पर कविता : अहिंसा का दामन
अक्षय नेमा मेख | सोमवार,जनवरी 30,2017
तुमने थामा था जिस अहिंसा का दामन, मैं चाहता हूं मेरे हाथ भी पहुंचे उस तक
दुखी मन से कैसे हो नया साल मुबारक...!
अक्षय नेमा मेख | सोमवार,जनवरी 2,2017
2016 खत्म हुआ है और 2017 की शुरुआत हो चुकी है। वैसे तो सिर्फ तारीख ही बदली है, नया कुछ नहीं है। पर इसे हम-आप मिलकर आपसी ...
मीडिया की निष्पक्षता पर सवाल
अक्षय नेमा मेख | बुधवार,अक्टूबर 29,2014
हमारे संविधान में प्रत्येक भारतीय को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। यही कारण है कि भारतीय मीडिया अपने अधिकार क्षेत्र में ...
दलितों को दलित बनाने की होड़
अक्षय नेमा मेख | बुधवार,अक्टूबर 29,2014
आजादी के 66 वर्ष गुजर जाने के उपरांत महात्मा गांधी के हरिजनों और बाबा अंबेडकर के दलितों को जाति व्यवस्था में बराबरी पर ...