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  4. what do Narendra Modi's stars say after the ceasefire, are they in trouble or on the rise
Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 24 जून 2025 (15:42 IST)

पाकिस्तान से सीजफायर के बाद क्या कहते हैं नरेंद्र मोदी के सितारे, गर्दिश में या बुलंदी पर?

Narendra Modi
Astrological predictions on PM Modi: वर्तमान में सोशल मीडिया और अन्य वेबसाइट पर ज्योतिष लोगों द्वारा नरेंद्र मोदी के बीच में ही सत्ता छोड़ देने की बात कहीं जा रही है हालांकि कई ज्योतिष मानते हैं कि वे अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। पिछले 2 सालों में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कमी की बात कही जा रही है लेकिन अधिकतर मानते हैं कि सेना को खुली छुट देने के बाद अमेरिकी दखल के बाद सीजफायर करने का उनका निर्णय गलत था। इस निर्णय से पीएम मोदी की राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छवि को गहरा धक्का लगा है। उनके विरोधी और पक्षधर दोनों ही इस बात को लेकर नाराज हुए हैं। खासकर तब जबकि लोगों में यह मैसेज गया कि डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में यह सीजफायर किया गया। ऐसे में अब जानते हैं कि नरेंद्र मोदी के सितारे क्या कहते हैं, गर्दिश में या बुलंदी पर?
 
मोदी की कुंडली का विश्लेषण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म मेहसाणा जिला के वडनगर ग्राम में 17 सितंबर 1950 को दोपहर 12:09 बजे हुआ था। इंटरनेट से प्राप्त जन्म समय के अनुसार पीएम मोदी की जन्म कुंडली वृश्चिक लग्न की है और उनकी राशि भी वृश्चिक है। सूर्य राशि कन्या और पाश्चात्य राशि भी कन्या है। वृश्चिक लग्न कुंडली के लग्न में मंगल और चंद्र बैठे हैं। मंगल और चंद्र की युति को महालक्ष्मी योग कहते हैं। इसी के साथ ही लग्नेश मंगल केंद्र में स्वराशिस्थ होकर 'रूचक' नामक पंच महापुरुष राजयोग बना है। जन्म कुंडली में लग्नेश मंगल नवमेश चंद्रमा के साथ स्थित हैं इसलिए जैसे ही पीएम मोदी की कुंडली में चन्द्रमा की दशा आरंभ हुई, उसके बाद राजनीति में उनकी ताकत बढ़ती गई।
 
कुंडली में चतुर्थ भाव में कुंभ का गुरु, पंचम भाव मीन राशि में राहु, दशम भाव सिंह राशि में शुक्र और शनि की युति है जिसकी दृष्टि चतुर्थ भाव पर है। एकादश भाव कन्या राशि में केतु, सूर्य और बुध की युति है। सूर्य बुध की युति से बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। मोदी की कुंडली में चन्द्र नीच राशिस्थ होकर मंगल के साथ युति कारक होने एवं चन्द्र की उच्च राशि के स्वामी शुक्र के चन्द्र से दशमस्थ होने से उनकी जन्म पत्रिका में 'नीचभंग राजयोग' बन रहा है। मोदी की कुंडली में सप्तमेश शुक्र शत्रुक्षेत्री होकर शनि के साथ युति कारक है एवं इस युति पर गुरु की पूर्ण दृष्टि है। 
मंगल बचा रहा है कुर्सी: कुंडली में मंगल छठे एवं प्रथम भाव का स्वामी होकर लग्न में स्थित हैं, इसलिए मोदी के शत्रु मोदी से कभी जीत नहीं पाएं या कहें कि राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो भी मोदी का शत्रु बनेगा वह खुद-ब-खुद निपट जा रहे हैं। क्योंकि उनकी कुंडली में नीचभंग राजयोग के साथ मंगल का जो रूचक योग है यह उन्हें कभी हारने नहीं देगा। 7 मई 2027 उनकी कुंडली में मंगल की महादशा चलेगी। मंगल के कारण शत्रुहंता योग भी बना है।
 
वर्तमान में पीएम मोदी की कुंडली में मंगल की महादशा चल रही है जो 29 नवम्बर 2021 से प्रारंभ होकर 29 नवम्बर 2028 तक रहेगी। कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि वर्ष 2028 तक उन्हें कोई हटा नहीं सकता। इससे उनकी और भारत की ताकत और सम्मान पूरी दुनिया में और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। गुरु की अंतर्दशा होने से दुनिया के सभी नेता मोदी को अपना नेता मानेंगे और दशम भाव में शुक्र के होने से चुनौतियां तो बहुत मिलेंगी परंतु गुरु के कारण उन सबसे पार पा लेंगे। 
 
हालांकि नरेंद्र मोदी की वृश्चिक लग्न की वार्षिक कुंडली में लग्नेश मंगल विवादों के अष्टम भाव में है तथा अपनी अष्टम दृष्टि तृतीय भाव में बैठे प्रगतिशील लग्न पर डाल रहा है। लग्न और षष्ठेश मंगल की वार्षिक कुंडली में सहयोगियों के तीसरे भाव पर दृष्टि और तीसरे भाव के स्वामी शनि का वक्री होकर चंद्रमा के साथ युति बनाना प्रधानमंत्री मोदी की वार्षिक कुंडली के अनुसार कुछ विवादास्पद बयानों के कारण सहयोगियों के साथ मनमुटाव की संभावना बना रहा है। 
 
राहु और शनि बजाएगा खतरे की घंटी: हालांकि कहा जा रहा है कि राहु और केतु की दशा उनके लिए अप्रत्याशित चुनौतियां ला सकती हैं। इसके चलते  माना जा रहा है कि 2026 तक मोदी जी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। 07/12/027 के बाद उनकी राजनीतिक स्थिति में बदलाव होना प्रारंभ होगा और इसके बाद 2028 तक उनका पद पर बने रहना मुश्किल हो जाएगा।
 
बृहस्पति के सातवें भाव को आशीर्वाद देने से प्रधानमंत्री मोदी का वैश्विक प्रभाव बढ़ेगा। पंचम भाव में शनि का होना बताता है कि 2025 नवाचार का वर्ष होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षा, प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांतिकारी नीतियां पेश कर सकते हैं। ये पहल भारत को नवाचार के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित कर सकती हैं। पंचम भाव में राहु भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत पर जोर देता है। उनकी कुंडली पर शनि का प्रभाव स्वास्थ्य के मामले में सतर्क रहने की आवश्यकता को दर्शाता है। राहु की स्थिति बताती है कि साहसिक आर्थिक सुधारों को शुरुआत में प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है। इसी के साथ देश में विरोधियों की सक्रियता बढ़ जाएगी।
 
ग्रह गोचर का फल: लग्न और चंद्र से सप्तम भाव में बृहस्पति गोचर कर रहे हैं, जो इनको अच्छी सफलता प्रदान कर रहे हैं। राहु का गोचर पंचम भाव में जन्मांग के राहु पर ही है और सूर्य के ऊपर केतु का गोचर है। इनकी शनि की ढैय्या मार्च में खत्म हो गई है। मंगल का गोचर नवम यानी भाग्य भाव में है। अभी यह मंगल की महादशा और म‌ई के अंत तक शनि की अंतर्दशा के प्रभाव में थे, जो न केवल उन्हें एक सशक्त राजनेता के रूप में आगे बढ़ा रहा थी बल्कि कई स्थानों पर उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाया और यही वजह है कि इन्हें अनेक देशों द्वारा पुरस्कार भी मिले क्योंकि बृहस्पति की कृपा भी इनको गोचर में प्राप्त हो रही है, लेकिन इसी कारण और सूर्य के भी पीड़ित होने के कारण उनके विरोधियों की संख्या भी बढ़ रही है और इन्हें कई जगह चुनौतियां मिल रही हैं। जून के बाद उनके ग्रह गोचर बदल गए हैं। सितंबर के बाद उन्होंने और भी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि मई 2025 के बाद से 2026 मई तक बुध की अंतर्दशा प्रारंभ हो गई है। इसके चलते उन्हें सेहत संबंधी परेशानी हो सकती है। साल 2028 में उनकी राहु की महादशा शुरू होने वाली है जो या तो उन्हें टॉप पर ले जाएगी या नेपथ्‍य में धकेल देगी।
 
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