शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. Vakri Shani ka Asar

Vakri Shani : 17 जून से शनि होंगे वक्री, क्या होगा प्रभाव? बुरे प्रभाव को कैसे कम करें?

17 जून से शनि होंगे वक्री, क्या होगा प्रभाव?

Vakri Shani ka Asar
शनि ग्रह का नवग्रहों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायाधिपति कहा गया है। शनि सूर्यदेव के पुत्र भी हैं। शनि के गोचर के परिणामस्वरूप ही जातक के जीवन में साढ़ेसाती एवं ढैय्या का प्रभाव होता है। शनि मन्दगति से चलने वाले ग्रह हैं इसीलिए वे एक राशि में ढ़ाई वर्ष तक रहते हैं। शनि का नाम सुनते ही जनमानस भयाक्रान्त हो उठता है क्योंकि शनि न्याय करते समय अत्यन्त कठोर रूप दिखाते हैं जिससे जातक के जीवन में अनेक कठिनाईयां एवं कष्ट आते हैं।
 
 शनि मार्गी व वक्री दोनों ही प्रकार से गति करते हैं। वर्तमान में शनि कुंभ राशि में स्थित हैं। वर्तमान में शनि की गति मार्गी (आगे की ओर) है लेकिन पंचांग अनुसार 17 जून 2023, दिन शनिवार आषाढ़ कृष्ण चतुर्दशी रात्रि 10:55 मि. से शनिदेव अपनी गति परिवर्तित करते हुए वक्री (पीछे की ओर) हो रहे हैं जो 4 नवंबर 2023 दिन शनिवार कार्तिक कृष्ण सप्तमी को अपरान्ह 12:39 मि. पर पुन: मार्गी होंगे। 
vakri shani
शनि की वक्रगति का ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्त्व है| शनि के वक्री होने से सरकार के प्रति तीव्र असंतोष उत्पन्न होने की संभावना है। जनपीड़ा एवं भीषण दुर्घटनाएं होंगी। किसी बड़े राजनेता के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राष्ट्रों में हिंसा एवं विद्रोह की भावना बलवती होगी। मानसून के आने में विलम्ब होगा कहीं-कहीं अनावृष्टि तो कहीं-कहीं अतिवृष्टि होने की संभावना है। 
 
सत्तारूढ़ दल के प्रति जनता में असंतोष होगा। तेल के दामों में वृद्धि होगी। महंगाई में वृद्धि होगी। जिन जातकों की जन्मपत्रिका में शनि अशुभ स्थिति में हैं अथवा जो जातक शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के प्रभाव में हैं उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। शनिदेव के इस वक्री गति से उत्पन्न दुष्प्रभावों को कम करने के लिए जातक निम्न उपाय कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
शनिदेव के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए उपाय-
 
1. प्रति शनिवार छाया दान करें।
(लोहे की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपना मुख देखकर उस तेल को कटोरी सहित दान करें)
 
2. 7 शनिवार 7  बादाम शनि मन्दिर में चढ़ाएं।
 
3. शनिवार को किसी लंगर या सदाव्रत में भोजन व ईंधन की व्यवस्था करें।
 
4. शनिवार को काला छाता, काले चमड़े के जूते, एवं काला वस्त्र दान करें।
 
5. शनिवार को उड़द व सरसों का तेल दान करें।
 
6. शनिवार को चींटियों को शकर मिश्रित आटा डालें।
 
7. अपने अधीन कार्य करने वालों को प्रसन्न रखें।
 
(निवेदन: उपर्युक्त विश्लेषण को केवल भारत के सन्दर्भ में नहीं अपितु पूरे विश्व के सन्दर्भ में देखें)