छींक : अशुभ नहीं, शुभ भी होती है...
छींक को प्राय: अशुभ माना जाता है। शुभ कार्य के लिए गमन के समय यदि कोई छींक मार दे तो अपशकुन होता है।
लोक मानस का विश्वास है कि एक से अधिक छींक आने पर अपशकुन नहीं होता। रोगी मनुष्य यदि बार-बार छींकता है तो भी इस पर अपशकुन नहीं होता।
शुभ कार्य के लिए जाते समय यदि गाय या उसका बछड़ा छींक दे तो निश्चित कार्य सिद्धि होती है। यह शकुन धन वृद्धि का भी सूचक है।
मार्ग में यदि गजराज छींक दे तो राज्य लाभ होता है।
रास्ते में अथवा घर के बाहर यदि कुत्ता छींक दे तो विघ्न और विपत्ति की सूचना है; यदि कुत्ता एक से अधिक बार छींक दे तो विपत्ति के टल जाने की संभावना है।
दु:स्थान, श्मशान तथा किसी दुर्घटना स्थल पर कोई व्यक्ति छींक मार देता है तो इसे वैदिक साहित्य में शुभ माना जाता है।
भूकम्प, दुर्भिक्ष या महामारी की सूचना पर यदि जीव-जंतु तथा मनुष्य छींक दे तो अनिष्ट के दूर होने की संभावना रहती है।
रसोई में दूध उबलते समय यदि गृहिणी छींक दे तो आपत्तिजनक है।
दवाई का सेवन करते समय यदि छींक आए और औषधि गिर जाए तो रोग का निवारण शीघ्र होता है।