इस वर्ष 10 जून 2021, गुरुवार को शनि जयंती मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनि जयंती मनाई जाती है। इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है। शनिदेव की पूजा करने के लिए कुछ अलग नहीं करना होता। इनकी पूजा भी अन्य देवी-देवताओं की तरह ही होती है। शनि जयंती के दिन उपवास भी रखा जाता है।
शनि जयंती 2021 : जेष्ठ अमावस्या के शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि का आरंभ 9 जून 2021 को 14.25 मिनट से शुरू होकर 10 जून 2021 को 16.10 मिनट पर अमावस्या तिथि समाप्त होगी।
पूजा विधि-
व्रती को प्रात:काल उठने के पश्चात नित्यकर्म से निबटने के पश्चात स्नानादि से स्वच्छ होना चाहिए। इसके पश्चात लकड़ी के एक पाट पर साफ-सुथरे काले रंग के कपड़े को बिछाना चाहिए। कपड़ा नया हो तो बहुत अच्छा अन्यथा साफ अवश्य होना चाहिए। फिर इस पर शनिदेव की प्रतिमा स्थापित करें। यदि प्रतिमा या तस्वीर न भी हो तो एक सुपारी के दोनों और शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाए। इसके पश्चात धूप जलाएं। फिर इस स्वरूप को पंचगव्य, पंचामृत, इत्र आदि से स्नान करवाएं। सिंदूर, कुमकुम, काजल, अबीर, गुलाल आदि के साथ-साथ नीले या काले फूल शनिदेव को अर्पित करें। इमरती व तेल से बने पदार्थ अर्पित करें। श्री फल के साथ-साथ अन्य फल भी अर्पित कर सकते हैं। पंचोपचार व पूजन की इस प्रक्रिया के बाद शनि मंत्र की एक माला का जाप करें। माला जाप के बाद शनि चालीसा का पाठ करें। फिर शनिदेव की आरती उतार कर पूजा संपन्न करें।
12 काम की बातें-
1. शुद्ध स्नान करके पुरुष पूजा कर सकते हैं।
2. महिला शनि मंदिर के चबूतरे पर नहीं जाएं।
3. अगर आपकी राशि में शनि आ रहा है तो शनि पूजा कर सकते हैं।
4. अगर आप साढ़ेसाती से ग्रस्त हो तो शनि पूजा कर सकते हैं।
5. यदि आपकी राशि का अढैया चल रहा हो शनि पूजा कर सकते हैं।
6. यदि आप शनि दृष्टि से त्रस्त एवं पीड़ित हो तो शनि पूजा कर सकते हैं।
7. यदि आप कारखाना, लोहे से संबद्ध उद्योग, ट्रेवल, ट्रक, ट्रांसपोर्ट, तेल, पेट्रोलियम, मेडिकल, प्रेस, कोर्ट-कचहरी से संबंधित हो
शनि पूजा कर सकते हैं।
8. यदि आप कोई भी अच्छा कार्य करते हो तो शनि पूजा कर सकते हैं।
9. यदि आपका पेशा वाणिज्य, कारोबार में क्षति, घाटा, परेशानियां आ रही हों तो शनि पूजा कर सकते हैं।
10. अगर आप असाध्य रोग कैंसर, एड्स, कुष्ठरोग, किडनी, लकवा, साइटिका, हृदयरोग, मधुमेह, खाज-खुजली जैसे त्वचा रोग से त्रस्त तथा पीड़ित हो तो आप श्री शनिदेव का पूजन-अभिषेक अवश्य कीजिए।
11. सिर से टोपी आदि निकालकर ही दर्शन करें।
12. जिस भक्त के घर में प्रसूति सूतक या रजोदर्शन हो, वह दर्शन नहीं करता।