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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 2 सितम्बर 2024 (16:22 IST)

Ganesh chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी पर गणपति पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त कब है?

AI generated ganesh images
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Ganesh chaturthi kab hai 2024: भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का मध्याह्न काल में जन्म हुआ था। मध्याह्न काल में पूजा करने का खास महत्व माना गया है। 7 सितंबर 2024 शनिवार से 10 दिवसीय गणपति उत्सव प्रारंभ हो रहा है। आओ जानते हैं कि कब है मध्यान्ह काल पूजा का समय।ALSO READ: Ganesh chaturthi 2024: गणेश जी से जुड़े 10 रोचक तथ्य
 
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 06 सितम्बर 2024 को दोपहर बाद 03:01 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 07 सितम्बर 2024 को शाम 05:37 बजे तक।
 
7 सितंबर 2024 को मध्यान्ह काल कब रहेगा?
- इस पर्व में मध्याह्न के समय मौजूद (मध्याह्न व्यापिनी) चतुर्थी ली जाती है क्योंकि गणेश जी का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था। 
- 07 सितंबर 2024 को मध्यान्ह काल का समय रहेगा। दिन के दूसरे प्रहर को मध्यान्ह काल कहते हैं।
- मध्यान्ह काल सुबह 09 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच रहता है इसके बाद अपरान्ह समय लग जाता है।
- अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना सबसे शुभ रहेगा जो सुबह 11:54 से दोपहर 12:44 तक रहेगा।
- गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था। 
- यदि कोई तिथि तीन प्रहर के बाद प्रारंभ हो तो फिर अगले दिन की तिथि को यानी उदयातिथि के अनुसार पर्व मनाया जाता है। 
- इसलिए गणेश चतुर्थी का पर्व 7 सितंबर से प्रारंभ होकर 17 सितंबर को समाप्त होगा।
7 सितंबर 2024 गणेश स्थापना और पूजा का शुभ समय मुहूर्त:- 
गणेश पूजा मुहूर्त- सुबह 11:03 से दोपहर 01:34 तक।
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:54 से दोपहर 12:44 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:24 से दोपहर 03:14 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग: दोपहर 12:34 से अगले दिन सुबह 06:03 तक।
रवि योग: सुबह 06:02 से दोपहर 12:34 तक।
 
10 दिवसीय गणेशोत्सव का महत्व:-
इस गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, कलंक चतुर्थी और डण्डा चौथ भी कहा जाता है। मान्यता है की इस दिन चंद्रमा का दर्शन नहीं करना चाहिए वरना कलंक का भागी होना पड़ता है। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेशजी की विधिवत पूजा की जाए तो घर में सुख, शांति और समृद्धि के साथ ही रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। जीवन में सभी कुछ शुभ-लाभ होता है। आमोद-प्रमोद बना रहता है। भक्त हमेशा संतोषी रहता है।