घर के पास बरगद है तो क्या होगा?
Banyan tree vastu : सभी वृक्षों में पीपल और बरगद की उम्र सबसे अधिक मानी गई है। बरगद का पेड़ विशालकाय होता है। इसे वट वृक्ष भी कहते हैं, जिसकी कई तरह की प्रजातियां पाई जाती है। अंग्रेजी में इसे बनियान ट्री कहते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार इसे घर के पास लगा रहे हैं या यह आपके घर के आसपास लगा हुआ है तो क्या होगा इसका आपके जीवन पर प्रभाव?
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घर की पूर्व दिशा में बरगद का पेड़ होने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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इस वृक्ष की घर पर छाया नहीं पड़ना चाहिए और घर की छाया इस पर नहीं पड़ना चाहिए।
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बरगद को ऑक्सिजन का खजाना कहा जाता है। पुराने पेड़ 200 से 300 लीटर ऑक्सीजन रोज देते हैं।
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जीवन रक्षक बरगद के पौधे लगाने से होगा दैहिक, दैविक और भौतिक लाभ।
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इसकी छांव में ज्यादा समय तक रहने से दैहिक, दैविक और भौतिक लाभ मिलता है।
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पुराणों में यह स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों का वास है।
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बरगद को साक्षात शिव भी कहा गया है। बरगद को देखना शिव के दर्शन करना है।
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आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो वट वृक्ष दीर्घायु व अमरत्व के बोध के नाते भी स्वीकार किया जाता है।
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आयुर्वेद के अनुसार, बरगद का पेड़ एक उत्तम औषधि भी है और बरगद के पेड़ से कई बीमारियों का इलाज हो सकता है।
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सुहागिन महिलाओं द्वारा हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत रखकर बरगद की पूजा करती हैं।
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धार्मिक मान्यता है कि वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है।
पंच वट : हिंदू धर्मानुसार पांच वटवृक्षों का महत्व अधिक है। अक्षयवट, पंचवट, वंशीवट, गयावट और सिद्धवट के बारे में कहा जाता है कि इनकी प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता। संसार में उक्त पांच वटों को पवित्र वट की श्रेणी में रखा गया है। प्रयाग में अक्षयवट, नासिक में पंचवट, वृंदावन में वंशीवट, गया में गयावट और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट है।
।।तहं पुनि संभु समुझिपन आसन। बैठे वटतर, करि कमलासन।।
भावार्थ-अर्थात कई सगुण साधकों, ऋषियों, यहां तक कि देवताओं ने भी वट वृक्ष में भगवान विष्णु की उपस्थिति के दर्शन किए हैं।- रामचरित मानस