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Last Modified: रविवार, 8 जनवरी 2023 (22:22 IST)

प्रयागराज : कोरोना महामारी के बाद माघ मेला कराने में कई चुनौतियां

प्रयागराज : कोरोना महामारी के बाद माघ मेला कराने में कई चुनौतियां - many challenges in organizing magh mela after corona epidemic
प्रयागराज।  दो साल कोरोना महामारी की वजह से फीका रहे माघ मेले में इस बार बड़ी संख्या में कल्पवासी आए हैं; लेकिन मेले को भव्य रूप देने के शासन के दावों के इतर मेला प्राधिकरण को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। माघ मेला क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या संचार व्यवस्था को लेकर है। करीब 650 हेक्टेयर क्षेत्र में बसे माघ मेले में गंगोली शिवाला मार्ग पर केवल एक मोबाइल टावर लगा है, जिससे पूरे मेला क्षेत्र में मोबाइल फोन में सिग्नल ना के बराबर आता है।
 
मेला प्राधिकरण के अमीन पंकज कुमार ने बताया कि इस बार स्नान पर्व काफी पहले पड़ गया जिसकी वजह से मोबाइल टावर लग नहीं पाए; प्राधिकरण और मोबाइल टावर लगवाने का प्रयास कर रहा है।
 
प्रदेश सरकार माघ मेला को 2025 में लगने वाले महाकुंभ का पूर्वाभ्यास कह रही है और पिछले वर्ष के 641 हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल मेला क्षेत्र को बढ़ाकर 650 हेक्टेयर किया गया है। लेकिन मेला में मिलने वाली सुविधाओं के लिए मेला कार्यालय में साधु संतों और समाजसेवियों का हुजूम प्रतिदिन देखा जा सकता है।
 
त्रिवेणी संगम आरती सेवा समिति के अध्यक्ष और ज्योतिषाचार्य पंडित राजेंद्र मिश्रा का कहना है कि माघ मेला मुख्य रूप से कल्पवासियों का मेला होता है और इस वर्ष मेले में 3,000-5,000 संस्थाओं ने अपना शिविर लगाया है। वहीं खाक चौक, दंडी बाड़ा और आचारी बाड़ा में बड़ी संख्या में कल्पवासी महीने भर का कल्पवास कर रहे हैं।
 
उन्होंने बताया कि इस बार माघ मेले में बड़ी संख्या में विदेशी भी आए हैं। क्रिया योग आश्रम और इस्कान के शिविरों में इन विदेशी मेहमानों के ठहरने के लिए स्विस कॉटेज की व्यवस्था की गई है।
 
मिश्रा ने बताया कि मेला क्षेत्र कल्पवासियों की संख्या करीब 20 लाख है; लेकिन स्नान पर्व पर मेला प्रशासन स्नानार्थियों में इनकी गिनती नहीं करता। यदि कल्पवासियों को भी गिना जाए तो कुल स्नानार्थियों की संख्या काफी बढ़ जाएगी।
 
उल्लेखनीय है कि कल्पवास के तहत लोग एक महीना टेंट में गुजारते हैं। दिन में दो बार गंगा स्नान करते हैं और एक समय भोजन करते हैं। बाकी समय वे पूजा पाठ और कथा भागवत सुनकर गुरु के साथ सत्संग करते हैं।
 
कौशांबी से कल्पवास करने आए धर्मेंद्र शुक्ला ने बताया कि इस बार माघ मेले में सुरक्षा व्यवस्था काफी चुस्त दुरुस्त है। पिछले साल के मुकाबले अधिक संख्या में पुलिसकर्मी नजर आ रहे हैं।
 
पुलिस अधीक्षक (माघ मेला) आदित्य कुमार शुक्ला ने बताया कि माघ मेले में कुल 13 थाने और 38 पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। मेले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए दो एसपी, तीन एएसपी, नौ सीओ और 5,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
 
उन्होंने बताया कि शासन की मंशा के अनुरूप इस माघ मेला को आगामी महाकुंभ के पूर्वाभ्यास के तौर पर लिया जा रहा है और सिपाहियों को लोगों से अच्छा व्यवहार करने का नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
 
कोरोना को लेकर सावधानी के बारे में अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ. के. के. वर्मा ने बताया कि मेला क्षेत्र में प्रत्येक प्रवेश मार्ग पर हेल्प डेस्क बनाए गए हैं जहां मेला में आने वाले लोगों की प्रारंभिक जांच की जाती है और कोरोना का किसी तरह का लक्षण मिलने पर उसे मेला में नहीं जाने दिया जाता।
 
उन्होंने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में 20-20 बिस्तरों के दो अस्पताल खोले गए हैं और प्राथमिक उपचार के लिए दो-दो बिस्तरों के 10 अस्पताल खोले गए हैं। स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए बड़ी संख्या में सफाईकर्मी लगाए गए हैं।
 
हालांकि, सुविधाओं की बात करें तो मेला प्राधिकरण कार्यालय में सुविधाओं को लेकर प्रतिदिन गहमा गहमी का माहौल रहता है। सुविधा का प्रार्थना पत्र लेकर आए संगम जनजागरण संस्थान के बाबा जी ने कहा कि उनकी संस्था नई है और पहली बार मेला में शिविर लगा रही है। नई संस्थाओं को सुविधाएं मिलना काफी मुश्किल है।
 
उन्होंने कहा कि मेला प्राधिकरण को नई संस्थाओं के लिए अलग से काउंटर खोलना चाहिए जिससे सुविधा मिलना या ना मिलना सुनिश्चित हो सके। शनिवार को मेलाधिकारी कार्यालय में भीड़ इतनी अधिक हो गई कि धक्का मुक्की में कार्यालय का शीशे का टेबल टूट गया।
 
संगम क्षेत्र और इसके आसपास आम लोगों के लिए अन्न क्षेत्र पिछले वर्ष की तरह इस बार भी चल रहा है जिसमें मणिराम दास जी की छावनी, अयोध्या जी और ओम नमः शिवाय का अन्न क्षेत्र शामिल हैं जहां हजारों की संख्या में आम लोग प्रतिदिन भोजन प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। आगामी प्रमुख स्नान मौनी अमावस्या पर मणिराम दास की छावनी के प्रमुख महंत श्री नृत्य गोपाल दास जी के मेला क्षेत्र में आने की संभावना है।
 
पौष पूर्णिमा पर पांच लाख से अधिक लोगों ने संगम और गंगा में स्नान किया। माघ मेले का अगला स्नान पर्व 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पडे़गा। इसके बाद 21 जनवरी को मौनी अमावस्या, 26 जनवरी को बसंत पंचमी, 5 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के साथ माघ मेला संपन्न होगा।  भाषा Edited By : Sudhir Sharma
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