मेरठ में एक छत के नीचे विभिन्न विभागों से जुड़े 114216 ऑन द स्पॉट वादों का निस्तारण राष्ट्रीय लोक अदालत लगाकर किया गया। लोक अदालत के माध्यम से वादों का निस्तारण आपसी सुलह समझौते के आधार पर किया गया, जहां आर्थिक मामले निपटे तो वहीं कई परिवार टूटने से बच गए। जब पति-पत्नी मामूली कहासुनी से घर तोड़ने पर आतुर थे, तो परिवार न्यायालय ने उन्हें नया जीवन दिया।
इन टूटते परिवारों को फिर से हुए वैवाहिक खुशियां मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा। अपने पति और बच्चों के साथ फिर से जीने की इच्छा के चलते ऐसे दम्पति जब कोर्ट से विदा हुए तो उनकी खुशी देखते ही बनती थी। परिवार अदालत की न्यायाधीश भी टूटते घरों को बचाकर बेहद खुश है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय लोक अदालत के द्वारा त्वरित न्याय मिल रहा है, ऐसे में लोग लंबी न्यायिक प्रक्रिया से बचते है।
कोर्ट में अपने पति के साथ खिलखिलाकर हंसने वाली महिला का नाम नीरज कुमारी है। इसकी शादी कुछ वर्ष पहले गाजियाबाद के रहने वाले दीपक कुमार के साथ हुई थी, शादी के कुछ साल तक तो इनका जीवन हंसी-खुशी से व्यतीत हुआ, तीन बच्चे भी हुए। अचानक से पति-पत्नी में छोटी-छोटी बात को लेकर तकरार होने लगी, जिसके चलते नीरज मेरठ में अपने घर आ गई। नीरज ने तलाक के लिए परिवार न्यायालय की शरण ली, जिसके चलते दोनों कि कांउसलिंग की गई।
जब यह कांउसलिंग के लिए कोर्ट आते तो एक दूसरे से मुंह फेर कर बैठ जाते। परिवार न्यायालय की जज पुष्पा सिंह ने दोनों पक्षों की बात सुनी और फिर उन्हें समझाया, जिसके बाद अब यह पति पत्नी साथ रहने के लिए सहर्ष तैयार हो गए।
इसी तरह मेरठ के नरगिस और गुलफाम है, दोनों ने अलग रहने की ठान ली और तलाक की अर्जी दे दी। पत्नी गुजराभत्ता मांग रही थी। इस दम्पति के दो बच्चे हैं। न्यायालय में जज साहिबा वीणा नारायण ने इनकी कहानी सुनी तो उनको लगा कोई पेचीदा मामला नही है। दोनों पक्षों को प्यार से समझाया, जिसके बाद यह खुशी के साथ जीवन भर रहने का वादा करके कोर्ट से चले गए। गुलफाम का कहना है कि वे खुश हैं, कोर्ट में बिना खर्चे के जल्दी से न्याय मिला, जिसका परिणाम अब हम पति-पत्नी और बच्चों के साथ रहेंगे।
अपर प्रधान विधिक परिवार न्यायालय की जज पुष्पा सिंह का कहना है कि मेरठ में तीन फैमिली कोर्ट लोक अदालत में 210 मुकदमे लगे थे, जिसमें से 180 वादों को सुलझाया गया। 28 टूटते हुए घर एक बार फिर से बस गए है, जिसकी हमें बहुत खुशी है। इस तरह राष्ट्रीय लोक अदालत में अलग-अलग तरह के मुकदमे आते है, जो वाद और वादी को आसानी से न्याय देने की कोशिश करते हैं।
लोक अदालत के माध्यम से (राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड में अपलोड) आपराधिक शमनीय वाद, धारा 138 पराक्रम्य लिखित अधिनियम, बैंक वसूली वादों, मोटर दुर्घटना प्रतिकर याचिकाएं, श्रम विवाद, जल व विद्युत बिल (अशमनीय वादों को छोड़कर), वैवाहिक विवाद (विवाह विच्छेद/तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण वाद, वेतन सम्बन्धित विवाद एवं सेवानिवृति लाभो से सम्बन्धित विवाद, राजस्व वादो (जनपद न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय में लम्बित मात्र), सिविल वादो (किराया सुखाधिकार, व्यादेश, विशिष्ट अनुतोष वाद) तथा प्रीलिटीगेंशन वादः- सभी प्रकार के दीवानी व सुलह समझौते योग्य अपराधिक शमनीय वादों का निस्तारण आपसी सुलह समझौते के आधार पर किया जाता है।
मेरठ में इस बार 1 लाख 30 हजार से अधिक वादों को राष्ट्रीय लोक अदालत में निपटाने का लक्ष्य रखा गया था। जिसमें सभी अदालतों ने काम करते हुए 114216 वादों का निस्तारण करके 13,88,76,347 रुपयों का वाद सुलझाया है।