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Last Updated : मंगलवार, 30 जनवरी 2024 (22:59 IST)

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: हिन्दू पक्ष ने किया शिवलिंग के ASI सर्वे के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख

Gyanvapi masjid
Gyanvapi Masjid controversy : हिन्दू महिला वादियों ने उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली का रुख कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को उस 'शिवलिंग' (Shivalinga) की प्रकृति और उसकी विशेषताओं का पता लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जिसके बारे में दावा किया गया है कि वह वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में एक सीलबंद क्षेत्र में पाया गया है।
 
4 हिन्दू महिलाओं ने एक अलग याचिका में उच्चतम न्यायालय के 19 मई 2023 के आदेश को भी रद्द करने का अनुरोध किया है जिसमें उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 मई 2023 के निर्देश पर 'शिवलिंग' की आयु का पता लगाने के लिए कार्बन डेटिंग समेत वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने पर रोक लगा दी थी। ये महिलाएं वाराणसी की एक अदालत में लंबित मुकदमे की मूल वादी भी हैं।

 
उन्होंने कहा कि 'शिवलिंग' की असल प्रकृति उसके आसपास की कृत्रिम/ आधुनिक दीवार/ फर्श हटाकर और खुदाई कर पूरे सीलबंद इलाके का सर्वेक्षण तथा अन्य वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल करके पता लगाया जा सकता है। वकील विष्णु शंकर जैन के जरिए दायर याचिका में कहा गया है कि एएसआई को अदालत द्वारा दिए गए समय के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाए।
 
वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल करने का निर्देश दें : इसमें कहा गया है कि उचित और प्रभावी जांच के लिए यह आवश्यक है कि एएसआई को शिवलिंग (जिसे मुस्लिमों ने एक फव्वारा होने का दावा किया है) की प्रकृति और उसकी विशेषताओं का पता लगाने के लिए उसके आसपास आवश्यक खुदाई और अन्य वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल करने का निर्देश दिया जाए।

 
याचिका में कहा गया है कि 'शिवलिंग' की मूल संरचना और उससे जुड़ीं विशेषताओं का पता लगाने के लिए खुदाई आवश्यक है। यह याचिका उच्चतम न्यायालय में तब दायर की गई है, जब कुछ दिन पहले वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट सभी पक्षकारों को सौंपे जाने का आदेश दिया।
 
मस्जिद का निर्माण हिन्दू मंदिर की संरचना पर किया गया : जैन ने बाद में दावा किया था कि एएसआई के वैज्ञानिक सर्वे की रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद हिन्दू मंदिर की संरचना पर किया गया था। दोनों याचिकाओं में महिला वादियों ने कहा कि वाराणसी की दीवानी अदालत के आदेश पर एक सर्वे किया गया जिसके दौरान 16 मई 2022 को एक तालाब में एक बड़ा 'शिवलिंग' पाया गया।

 
वादियों ने कहा कि 16 मई 2022 को मिला 'शिवलिंग' भगवान शिव के भक्तों और 'सनातन धर्म' के अनुयायियों के लिए पूजा की एक वस्तु है। याचिका में कहा गया है कि श्रद्धालुओं को भगवान की पूजा, आरती और भोग लगाने का पूरा अधिकार है और उन्हें ऐसे अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि मामले में प्रमुख मुद्दा यह है कि 16 मई 2022 को मिली वस्तु 'शिवलिंग' है या फव्वारा जिसका केवल वैज्ञानिक जांच से ही पता चल सकता है।
 
याचिका में कहा गया है कि एएसआई प्रमुख प्राधिकरण है, जो पूरे सीलबंद इलाके का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर सकता है जिससे मामले में सच्चाई का पता चल सकता है। हिन्दू कार्यकर्ताओं का दावा है कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर था और 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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