आर्थिक समीक्षा 2021-22 : कोरोना के बावजूद कृषि विकास दर 4 फीसदी के करीब
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि कोरोनावायरस (Coronavirus) संकट के बावजूद कृषि क्षेत्र वर्ष 2020-21 में 3.6 प्रतिशत तथा 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र, जिसकी 2021-22 में देश के सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में 18.8 प्रतिशत की भागीदारी है, ने पिछले दो वर्षों के दौरान उत्साहजनक वृद्धि अर्जित की है। यह 2020-21 में 3.6 प्रतिशत तथा 2021-22 में 3.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि यह अच्छे मॉनसून, ऋण उपलब्धता में वृद्धि, निवेश में सुधार, बाजार सुविधाओं का निर्माण करने, बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सरकारी उपायों के कारण संभव हो पाया।
समीक्षा में यह भी कहा गया है कि पशुधन तथा मत्स्य पालन में तेजी से वृद्धि हुई है और इससे इस क्षेत्र को अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिली। समीक्षा में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के कुल जीवीए में कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों की हिस्सेदारी दीर्घकालिक रूप से लगभग 18 प्रतिशत के करीब स्थिर हो गई है।
वर्ष 2021-22 में यह 18.8 प्रतिशत थी और वर्ष 2020-21 में यह 20.2 प्रतिशत थी। एक अन्य प्रवृत्ति यह देखी गई है कि फसल क्षेत्र की तुलना में संबद्ध क्षेत्रों (पशुधन, वानिकी एवं लॉगिंग, मत्स्य पालन और जल कृषि) में उच्चतर विकास हुआ।
संबद्ध क्षेत्रों के बढ़ते महत्व को स्वीकार करते हुए किसानों की आय दोगुनी करने पर समिति (डीएफआई 2018) ने इन संबद्ध क्षेत्रों को उच्च विकास के इंजन के रूप में माना और एक समवर्ती समर्थन प्रणाली के साथ एक केन्द्रित नीति की अनुशंसा भी की थी। समीक्षा में उल्लेख किया गया है कि कृषि में पूंजी निवेशों तथा इसकी वृद्धि दर में प्रत्यक्ष संबंध है।
सेक्टर में जीवीए की तुलना में कृषि क्षेत्र में सकल पूंजी निर्माण, निजी क्षेत्र निवेशों में विचरण के साथ एक अस्थिर रुझान प्रदर्शित कर रहा है जबकि सार्वजनिक क्षेत्र निवेश पिछले कुछ वर्षों से 2-3 प्रतिशत पर स्थिर बना हुआ है।समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि किसानों को संस्थागत ऋण तक अधिक पहुंच तथा निजी कॉर्पोरेट सेक्टर की अधिक भागीदारी कृषि में निजी क्षेत्र निवेश में सुधार ला सकती है।
इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समीक्षा में संपूर्ण कृषि मूल्य प्रणाली के साथ-साथ एक उपयुक्त नीतिगत ढांचे की पेशकश तथा सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करके निजी कॉर्पोरेट निवेशों को बढ़ाने की अनुशंसा की गई है।(वार्ता)