रामकृष्ण मिशन, नई दिल्ली द्वारा एक युवा वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय था
क्या स्वामी विवेकानंद के विचार आज के भारतीय युवा वर्ग के लिये उपयोगी है
इस कार्यक्रम में 220 से भी ज्यादा प्रतिभागियों ने विश्व के विभिन्न देशों और शहरों से भाग लिया। आईआईटी कानपुर, मद्रास, दिल्ली, कोलकाता, जेएनयू, आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने भी इसमें भाग लिया।
स्वामी शांतात्मानंद, सेक्रेटरी, रामकृष्ण मिशन, नई दिल्ली ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि स्वामी विवेकानंद के विचारों को देश के हर हिस्से तक ले जाना चाहिए, ताकि युवा अपनी आंतरिक शक्ति से परिचित हो सके।
स्वामी जी ने कहा कि जीडीपी किसी भी देश की समृद्धि का सही मापदंड नहीं हो सकता। अमीरों और गरीबों के बीच बढ़ती खाई को देखते हुए जीडीपी को विकास का सही मानक नहीं मान सकते और यह एक चिंताजनक स्थिति है।
स्वामी सर्वप्रियानंद, वेदांत सोसाइटी, न्यूयॉर्क के मिनिस्टर-इन-चार्ज ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि स्वामी विवेकानंद जब शिकागो धर्म सम्मेलन में बोल रहे थे तो उनके पीछे पांच हजार वर्षों का हिन्दू सभ्यता का इतिहास था। स्वामी विवेकानंद ने पश्चिम में ज्ञान का जो दीया जलाया, उसकी रोशनी गुलाम भारत खुद की क्षमता को पहचान सका।
स्वामी जी ने कहा, भारत एक मृत देश नहीं है, वरन एक सोया हुआ राष्ट्र है। इसलिए उठो, जागो, और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य न प्राप्त न हो जाये।
युवा प्रतिभागियों के प्रश्नो का उत्तर देते हुए स्वामी सर्वप्रियानंद ने कहा कि आध्यात्मिक शिक्षा के द्वारा युवाओं में दूसरों को नुकसान न पहुंचाने की क्षमता का विकास होगा। वे दूसरो के प्रति समभाव विकसित कर सकेगे।
स्वामी रंगनाथानंद जी, 13वें संघ अध्यक्ष रामकृष्ण विचारधारा को आध्यात्मिकता के चंद शब्दों में समेटते हुए कहा है कि आध्यात्मिकता का अर्थ होता है, जब हम आंख बंद करें तो मन में शांति होनी चाहिए और जब आंख खुले तो दूसरों के लिए क्या कर सके यह भाव हो सके।
स्वामी जी ने कहा आध्यात्मिकता एक शक्ति है जो स्वामी विवेकानंद सबमें भरना चाहते थे। यह जानकारी माधवी श्री और सूरज मिश्रा ने दी।