भारत के शीर्ष खिलाड़ी और आठवें वरीय एचएस प्रणय ने मंगलवार को यहां इंडिया ओपन सुपर 750 बैडमिंटन टूर्नामेंट में अपने अभियान की शुरुआत रोमांचक मुकाबले में सीधे गेम में जीत के साथ की जबकि प्रियांशु राजावत ने पुरुष एकल में पहला गेम गंवाने के बाद जोरदार वापसी करते हुए हमवतन लक्ष्य सेन को हराकर बाहर का रास्ता दिखाया।
विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के कांस्य पदक विजेता प्रणय ने दुनिया के 13वें नंबर के खिलाड़ी चीनी ताइपे के टिएन चेन चाउ को 42 मिनट में 21-6, 21-19 से हराया।
टिएन चेन के खिलाफ प्रणय की 13 मैच में यह छठी जीत है। अगले दौर में दुनिया के नौवें नंबर के खिलाड़ी प्रणय की भिड़ंत प्रियांशु से होगी जिन्होंने पहला गेम गंवाने के बाद पूर्व चैंपियन लक्ष्य को एक घंटा और 15 मिनट चले मुकाबले में 16-21, 21-16 21-13 से हराया।
दुनिया के आठवें नंबर के खिलाड़ी प्रणय के खिलाफ टिएन चेन शुरुआत में बिलकुल भी लय में नजर नहीं आए। उन्होंने काफी सहज गलतियां की। वह कोर्ट से सामंजस्य बठाने में नाकाम रहे और उन्होंने कई बार कोर्ट के अंदर गिर रही शटल को छोड़ दिया। चीनी ताइपे के खिलाड़ी ने इसके अलावा कई शॉट नेट पर भी मारे। भारतीय खिलाड़ी की तेजी और सटीक शॉट का भी टिएन चेन के पास कोई जवाब नहीं था।
प्रणय ने मैच के बाद कहा, मैं अपनी योजना को अच्छी तरह से लागू करने में सफल रहा। उसे शुरुआती गेम में काफी परेशानी हो रही थी और वह कोर्ट से सामंजस्य नहीं बैठा पा रहा था जिसका मैंने फायदा उठाया।
प्रणय ने मुकाबले की शानदार शुरुआत की और टिएन चेन की गलतियों का फायदा उठाकर 2-1 के स्कोर पर लगातार आठ अंक के साथ 10-1 की बढ़त बनाई। भारतीय खिलाड़ी ब्रेक के समय 11-2 से आगे था।
प्रणय ने बढ़त को 13-2 किया और फिर इसे 16-4 तक पहुंचाया। भारतीय खिलाड़ी ने 20-6 स्कोर पर 14 गेम प्वाइंट हासिल किए और फिर नेट पर आकर अंक जुटाते हुए पहला गेम आसानी से जीत लिया।
दूसरे गेम में टिएन चेन ने शुरुआती दो अंक जुटाए लेकिन प्रणय ने लगातार चार अंक के साथ 4-2 की बढ़त बनाई जिसमें क्रॉस कोर्ट स्मैश से जुटाए दो अंक भी शामिल थे।
दूसरे गेम में भी हालांकि टिएन चेन ने पहले गेम की गलतियों को दोहराना जारी रखा। वह हालांकि इसके बावजूद प्रणय को अच्छी टक्कर देने में सफल रहे। उन्होंने क्रॉस कोर्ट स्मैश के साथ 7-6 की बढ़त बनाई और लगातार चार अंक के साथ ब्रेक तक 11-7 की बढ़त बनाने में सफल रहे।
प्रणय ने इसके बाद कुछ शॉट नेट पर उलझाए और कुछ बाहर मारे जिससे टिएन चेन 14-8 से आगे हो गए। भारतीय खिलाड़ी ने लगातार तीन अंक के साथ स्कोर 11-14 किया। प्रणय ने इस बीच सही समय पर लय हासिल की और 11-16 के स्कोर पर लगातर छह अंक के साथ 17-16 की बढ़त बना ली।
प्रणय ने 20-19 के स्कोर पर एक मैच प्वाइंट हासिल किया और टिएन चेन ने नेट पर शॉट मारकर मैच भारतीय खिलाड़ी की झोली में डाल दिया।
दूसरी तरफ पूर्व चैंपियन 19वें नंबर के लक्ष्य और 30वें नंबर के प्रियांशु के बीच शुरुआत से ही प्रत्येक अंक के लिए कड़ी टक्कर देखने को मिली। जूनियर बैडमिंटन के दिनों से ही एक-दूसरे के खिलाफ खेल रहे ये खिलाड़ी एक-दूसरे की कमजोरियों और मजबूत पक्षों से अच्छी तरह वाकिफ थे।
लक्ष्य ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने अनुभव की बदौलत शुरुआत में बढ़त हासिल की लेकिन प्रियांशु बार-बार बराबरी हासिल करने में सफल रहे। लक्ष्य ने अपने दमदार क्रॉस कोर्ट स्मैश से काफी अंक जुटाए लेकिन प्रियांशु ने भी उन्हें परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लक्ष्य ब्रेक तक 11-10 के मामूली अंतर से बढ़त बनाने में सफल रहे।
पिछले हफ्ते मलेशिया ओपन के पहले दौर में शिकस्त झेलने वाले लक्ष्य ने 13-10 की बढ़त बनाई लेकिन प्रियांशु लगातार चार अंक के साथ 14-13 से आगे हो गए।
लक्ष्य ने इसके बाद अपने दमदार स्मैश का नजारा पेश करते हुए लगातार चार अंक के साथ 17-14 की बढ़त बनाई और दिखाया कि अंतरराष्ट्रीय सर्किट में आखिर क्यों उन्हें शीर्ष खिलाड़ियों में आंका जाता है।
प्रियांशु ने 15-19 के स्कोर पर बाहर शॉट मारकर लक्ष्य को पांच गेम प्वाइंट दिए। प्रियांशु ने एक गेम प्वाइंट बचाया लेकिन फिर नेट पर शॉट मार बैठे जिससे 0-1 से पिछड़ गए।
दूसरे गेम में प्रियांशु अधिक आक्रामक दिखे। उन्होंने 3-0 की बढ़त बनाई। लक्ष्य उनकी तेजी के आगे बेबस नजर आ रहे थे और रक्षात्मक होकर खेलते नजर आए। प्रियांशु ने 5-3 के स्कोर पर लगातार चार अंक के साथ 9-3 की बढ़त बनाई। वह ब्रेक तक 11-5 से आगे थे और फिर इस बढ़त को बरकरार रखते हुए गेम 21-16 से जीतकर स्कोर 1-1 किया।
तीसरे और निर्णायक गेम में प्रियांशु ने शुरुआत से ही बढ़कर बनाए रखी और आसानी से गेम जीतकर दूसरे दौर में प्रवेश किया।लक्ष्य ने मैच के बाद कहा, मैंने अच्छी शुरुआत की थी लेकिन लय बरकरार रखने में विफल रहा। मैंने काफी गलतियां की जिसका उसने पूरा फायदा उठाया। तीसरे गेम में वह काफी अच्छी लय में था और मैं पिछड़ता ही रहा।
(भाषा)