राष्ट्रीय खेल दिवस: आधुनिक युग के मेजर ध्यानचंद बनने की राह पर नीरज चोपड़ा
हॉकी के जादूगर Major Dhyanchand मेजर ध्यानचंद के विश्व कप विजेता बेटे अशोक ध्यानचंद Ashok Dhyanchand का मानना है कि World Championship विश्व चैम्पियनशिप और ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले भालाफेंक खिलाड़ी Neeraj Chopra नीरज चोपड़ा भी उनके पिता की तरह भारतीय खेलों के युगपुरूष बनने की राह पर हैं।
भारतीय खेलों के इतिहास में महानतम खिलाड़ियों में मेजर ध्यानचंद का जिक्र सबसे पहले आता है जिन्होंने एम्सटर्डम (1928), लॉस एंजीलिस (1932) और बर्लिन (1936) ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते और माना जाता है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हॉकी में एक हजार से अधिक गोल दागे। उनके जन्मदिन 29 अगस्त को National Sports Day राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
तोक्यो ओलंपिक 2021 स्वर्ण पदक विजेता चोपड़ा विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए ।उन्होंने बुडापेस्ट में हुई चैम्पियनशिप में 88 . 17 मीटर दूर भाला फेंककर यह उपलब्धि हासिल की।
इससे पहले वह तोक्यो ओलंपिक स्वर्ण, एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेल (2018) स्वर्ण, चार डायमंड लीग व्यक्तिगत मीटिंग खिताब और पिछले साल डायमंड लीग चैम्पियंस ट्रॉफी जीत चुके हैं। वह 2016 में जूनियर विश्व चैम्पियन और 2017 में एशियाई चैम्पियन भी रहे।
विश्व कप 1975 विजेता टीम के सदस्य रहे अशोक ने भाषा से कहा , कल पूरा देश जिस तरह टकटकी लगाये एथलेटिक्स देखता रहा। मैं भी आधी रात तक जागा था। इसका श्रेय नीरज को जाता है जिसने भारतीय एथलेटिक्स का कायाकल्प कर दिया। उसने एक पूरी पीढी को प्रेरित किया है और भालाफेंक फाइनल में शीर्ष छह में तीन भारतीय होना गर्व की बात है।
उन्होंने कहा , ध्यानचंद जी तो मील के पत्थर थे और आज के दौर में व्यक्तिगत खेलों में नीरज नयी बुलंदियों को छू रहा है।हम चाहते हैं और और भी खिलाड़ी आगे आयें और लगातार भारत का नाम रोशन करे। मुझे लगता है कि उनकी तरह भारतीय खेलों के युगपुरूष बनने की राह पर कोई है तो वह नीरज चोपड़ा है।
अशोक ने कहा कि भालाफेंक में भारत के बढते दबदबे ने उन्हें भारतीय हॉकी के सुनहरे दिनों की याद दिला दी जब भारत ने आठ बार ओलंपिक स्वर्ण पदक जीते थे।
उन्होंने कहा ,दद्दा ध्यानचंद के अलावा हमारे यहां लेज्ली क्लाउडियस ( तीन ओलंपिक स्वर्ण , एक रजत ),उधम सिंह ( तीन ओलंपिक स्वर्ण, एक रजत ) , बलबीर सिंह सीनियर ( तीन ओलंपिक स्वर्ण) जैसे महान हॉकी खिलाड़ी हुए जिनकी अलग ही विरासत थी। मुझे उन दिनों की याद कल ताजा हो गई। हॉकी की तरह भालाफेंक में भी भारत की तूती बोल रही है।
भारतीय हॉकी टीम ने आखिरी बार ओलंपिक स्वर्ण मॉस्को में 1980 में जीता था। तोक्यो ओलंपिक 2021 में भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने 41 साल का इंतजार खत्म करके कांस्य पदक हासिल किया।
(भाषा)