मणिका बत्रा खेलरत्न और कोच संदीप गुप्ता द्रोणाचार्य के दावेदार
नई दिल्ली। भारतीय टेबल टेनिस महासंघ (टीटीएफआई) ने गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 2 स्वर्ण सहित 4 पदक जीने वाली मणिका बत्रा के नाम की बेशक अर्जुन पुरस्कार के लिए सिफारिश की हो लेकिन मणिका सही मायनों में देश के सर्वोच्च राजीव गांधी खेलरत्न और उनके कोच संदीप गुप्ता द्रोणाचार्य पुरस्कार के दावेदार बन गए हैं।
दिल्ली की 22 वर्षीय मणिका ने गोल्ड कोस्ट में हाल में संपन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में लाजवाब प्रदर्शन करते हुए 2 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य पदक सहित कुल 4 पदक हासिल किए और वे इन खेलों में देश की सर्वश्रेष्ठ एथलीट रहीं।
मणिका ने अकेले अपने दम पर टेबल टेनिस का नाम रातोरात उन बुलंदियों पर पहुंचा दिया, जहां बैडमिंटन को साइना नेहवाल और पीवी सिंधु ने पहुंचाया। टीटीएफआई ने मणिका का नाम अर्जुन पुरस्कार के लिए भेज दिया है लेकिन महासंघ के महासचिव एमपी सिंह का कहना है कि वे मणिका का नाम खेलरत्न के लिए भी भेजेंगे।
उल्लेखनीय है कि 2016 के रियो ओलंपिक में जिमनास्टिक में शानदार प्रदर्शन करने वाली दीपा करमाकर उनके चौथे स्थान के ऐतिहासिक प्रदर्शन के लिए ओलंपिक के तुरंत बाद राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार और उनके कोच बिसेश्वर नंदी को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मणिका का प्रदर्शन ऐसा है कि टीटीएफआई के अर्जुन पुरस्कार की सिफारिश के बावजूद केंद्रीय खेल मंत्रालय खुद भी संज्ञान लेकर उनके नाम पर खेलरत्न के लिए विचार कर सकता है।
यहां यह तथ्य भी उल्लेखनीय है कि टेनिस स्टार सानिया मिर्जा को 2015 में उनके नाम को लेकर विवाद उठने के बावजूद खेल मंत्रालय ने खुद पहल करते हुए उन्हें खेलरत्न पुरस्कार प्रदान किया था। दिल्ली की इस टेबल टेनिस खिलाड़ी का शुक्रवार रात यहां स्टैग टेबल टेनिस अकादमी और टीटीएफआई की तरफ से सम्मान किया गया। मणिका के साथ साथ गोल्ड कोस्ट में स्वर्ण पदक जीतने वाले पुरुष खिलाड़ी एंथनी अमलराज को भी सम्मानित किया गया।
मणिका के कोच संदीप ने अपनी शिष्या की तारीफ करते हुए कहा कि वे 4 साल की उम्र से मेरे साथ टेबल टेनिस की ट्रेनिंग ले रही हैं। पिछले 18 वर्षों में मैंने हंसराज मॉडल स्कूल स्थित अपनी अकादमी में उसे रैकेट पकड़ने से लेकर चैंपियन बनने तक सबकुछ सिखाया। मुझे खुशी है कि उसने राष्ट्रमंडल खेलों में इतना शानदार प्रदर्शन किया। खेलों के दौरान मेरी उससे लगातार बातचीत होती रही और मैं उसे अपना बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता रहा।
सम्मान समारोह में मणिका ने अपने गुरु को उस समय गौरवान्वित कर दिया, जब उन्होंने अपना स्वर्ण पदक कोच संदीप के गले में पहना दिया। मणिका ने जैसे ही स्वर्ण पदक संदीप के गले में पहनाया, पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा और सभी ने एक स्वर में कहा कि आज संदीप 'द्रोणाचार्य' बन गए।
कोच ने कहा कि मणिका की ईमानदारी, खेल के प्रति प्रतिबद्धता और एकाग्रता उनके सबसे बड़े गुण हैं। उसने जीवन में कभी किसी से डांट नहीं खाई, क्योंकि वह हमेशा अपने खेल में एकाग्र रही। वह टेबल टेनिस को उस स्तर पर ले जा सकती है, जहां साइना और सिंधु बैडमिंटन को ले गई हैं। मणिका के निजी कोच संदीप उनके साथ गोल्ड कोस्ट तो नहीं गए थे लेकिन 2 साल पहले वे रियो ओलंपिक में मणिका के साथ गए थे।
उल्लेखनीय है कि भारत ने 8 साल पहले जब दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में 1 स्वर्ण सहित 5 पदक जीते थे तब राष्ट्रीय कोच भवानी मुखर्जी को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला था। इस बार भारत ने गोल्ड कोस्ट में टेबल टेनिस में 3 स्वर्ण सहित कुल 8 पदक जीते जिसमें 4 में अकेले मणिका की भागीदारी है। इस आधार पर संदीप के लिए द्रोणाचार्य का दावा बनता है। (वार्ता)