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Written By WD Sports Desk
Last Modified: गुरुवार, 18 सितम्बर 2025 (16:27 IST)

भारतीय हॉकी के 100 वर्ष पूरे होने पर पूरे देश में जश्न की तैयारी

Hockey India
भारतीय हॉकी के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पूरे देश भर में सात नवंबर को विशेष समारोहों का आयोजन किया जायेगा। इसके लिए उलटी गिनती शुरु हो गई है। 1925 में पहली राष्ट्रीय खेल संस्था का गठन हुआ था।
हॉकी इंडिया द्वारा आयोजित समारोह के तहत देश के हर जिले में एक पुरुष और एक महिला मैच खेला जाएगा। इस राष्ट्रव्यापी समारोह में 36 हजार से अधिक खिलाड़ियों के भाग लेने की उम्मीद है, और इस पहल का उद्देश्य देश के हर कोने से खिलाड़ियों को एक साथ लाना है।

हॉकी के योगदान के महत्व पर हॉकी सबसे बुजुर्ग जीवित दिग्गज गुरबक्स सिंह ने 1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने कहा, “भारत में आयोजित पहला हॉकी टूर्नामेंट 1895 में बेयटन कप था। राष्ट्रीय हॉकी संघ का गठन 1925 में हुआ और भारत ने इसके गठन के केवल तीन साल बाद 1928 में ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। उसके बाद भारत ने 1932 और 1936 में स्वर्ण पदक जीते और अगर द्वितीय विश्व युद्ध न होता, तो 1940 और 1944 में भी ये खेल आयोजित होते, तो हम दो और स्वर्ण पदक जीत सकते थे। वह ध्यानचंद का युग था और हमने पूरी दुनिया पर अपना दबदबा कायम कर लिया था।”

गुरबक्स ने बताया कि ब्रिटेन ने ‘भारत से हारने’ के डर से 1948 तक हॉकी टीम नहीं उतारी थी। हॉकी ने न केवल भारत के खेल इतिहास में, बल्कि राष्ट्रवाद में भी योगदान दिया है। टीम का प्रदर्शन एक राष्ट्र के रूप में एकता की भावना लाने के लिए महत्वपूर्ण था। अंग्रेजों ने 1948 में ही हॉकी टीम उतारी थी क्योंकि उन्हें भारत से हारने का डर था, जब वे हम पर शासन करते थे। और आजादी मिलने के बाद उन्हें उन्हीं के घर में हराना भारतीय इतिहास के सबसे महान क्षणों में से एक था।”

उन्होंने कहा कि बर्लिन ओलंपिक के फाइनल में टीम को मजबूत करने के लिए अली दारा को हवाई जहाज से बुलाया गया था। जर्मनी (एक क्लब टीम जिसमें ज़्यादातर राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ी थे) ने अभ्यास मैचों में भारत को हराया था। जब हम फाइनल में उनके खिलाफ थे। दारा को उस मैच के लिए हवाई जहाज से बुलाया गया था। यह भी समझना होगा कि उस समय महासंघ के पास पैसे नहीं थे। इसलिए, जर्मनी में ओलंपिक खेलने के लिए, बंगाल, पंजाब, भोपाल, मुंबई आदि राज्यों से शाही परिवारों के सदस्यों सहित लगभग 35 लोगों ने 100 रुपये से लेकर 500 रुपये तक का योगदान दिया ताकि टीम को जहाज से जर्मनी भेजा जा सके। उन्होंने 50,000 रुपये इकट्ठा किए और उन दिनों यह बहुत बड़ी रकम थी।"

हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और आधुनिक हॉकी के दिग्गज डॉ. दिलीप तिर्की ने कहा, “युवा पीढ़ी को हमारे खेल के इतिहास और विश्व मंच पर इस खेल के महत्वपूर्ण प्रभाव को जानना और सीखना चाहिए। नवंबर में आयोजित होने वाले शताब्दी समारोह के माध्यम से हम इन सुनहरे दिनों को फिर से जीने की कोशिश कर रहे हैं और आज 50 दिनों की उल्टी गिनती शुरू हो रही है।”(एजेंसी)
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