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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Modified: बुधवार, 15 जुलाई 2020 (22:05 IST)

Shri Krishna 15 July Episode 74 : पांडवों का वारणावत प्रस्थान, विदुर को मिली गुप्त सूचना

Shri Krishna 15 July Episode 74 : पांडवों का वारणावत प्रस्थान, विदुर को मिली गुप्त सूचना - Shri Krishna on DD National Episode 74
निर्माता और निर्देशक रामानंद सागर के श्रीकृष्णा धारावाहिक के 15 जुलाई के 74वें एपिसोड ( Shree Krishna Episode 74 ) में दुर्योधन को शकुनि वारणावत में पांडवों को लाक्षागृह में जलाकर मारने की योजना बताता है। उसके षड्‍यंत्र के तहत ही धृतराष्ट्र कुंती सहित पांचों पांडवों को वारणावत भेजने की आज्ञा देते हैं।

 
रामानंद सागर के श्री कृष्णा में जो कहानी नहीं मिलेगी वह स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें...वेबदुनिया श्री कृष्णा
 
 
उधर, कुंती को भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हुए बताया जाता है जहां युधिष्ठिर आकर उनसे मिलते हैं और बताते हैं कि मैं आपकी आज्ञा से युवराज बनने के बाद प्रजा में जाकर प्रजा के दुख-सुख की बातें सुनकर उचित रीति से उनकी समस्या का हल करता हूं।... युवराज बनने के बाद कुंती युधिष्ठिर को राजा के गुण और राजधर्म की बातें बताती हैं। फिर वहां एक सेविका गोमती आकर कहती है कि महाराज ने युवराज को अपने महल में तुरंत बुलाया है।
 
युधिष्ठिर वहां से जाने लगते हैं तो कुंती कहती हैं कि संभवत: वारणावत तीर्थ में शिवपूजा का महोत्सव आने वाला है। एक पुरानी परंपरा के अनुसार एक राजा को प्रतिवर्ष वहां जाना पड़ता है। तुम्हारे पिताश्री वहां जाया करते थे, बड़ा आनंद आता है। सो महाराज इसीलिए तुम्हें बुला रहे होंगे। यदि ऐसा है तो उनसे मेरे लिए भी आज्ञा मांग लेना। मेरा भी बड़ा मन होता है वहां जाने का।
 
युधिष्ठिर वहां से जाते हैं तो बाहर उन्हें घोड़े पर सवार उनके चारों भाई मिलते हैं। भीम पूछते हैं इतनी प्रात: भैया कहां जा रहे हो? युधिष्ठिर कहते हैं महाराज ने बुलाया है। फिर युधिष्‍ठिर कहते हैं परंतु तुम चारों भाई अस्त्र-शस्त्र धारण करके कहां जा रहे हो? इस पर भीम कहता है कि हम प्रतिदिन अभ्यास करते ही हैं परंतु मैंने आज कुछ विशेष प्रतियोगिता का आयोजन किया है जिससे यह पता चले कि कौन, कहां तक प्रवीण हुआ है। यह सुनकर युधिष्ठिर कहते हैं अच्छी बात है और वे फिर रथ पर सवार होकर चले जाते हैं।
 
इधर, चारों भाइयों को अस्त्र-शस्त्र से लैस और घोड़े पर सवार होकर युद्धाभ्यास करते हुए बताया जाता है। दूसरी ओर महाराज धृतराष्ट्र युधिष्ठिर को बुलाकर वारणावत तीर्थ स्थान पर जाकर शिव उत्सव में शामिल होकर प्रजा को दान देने की आज्ञा देते हैं। इस पर युवराज युधिष्ठिर कहते हैं कि माता कुंती की भी वारणावत जाने की इच्छा है यदि महाराज इसकी भी आज्ञा दें दे तो कृपा होगी। धृतराष्ट्र कहते हैं यदि देवी कुंती की इच्छा तो हमारी ओर से आज्ञा है..आजो अब यात्रा की तैयारी करो। युधिष्ठिर कहते हैं- जो आज्ञा तातश्री। 
 
उधर, माता कुंती के पास आकर चारों भाई अपनी प्रतियोगिता के बारे में बताते हैं और फिर कुंती उन्हें भगवान का प्रसाद खिलाती हैं। दूसरी ओर शकुनि यह सुनकर कर खुश हो जाता है कि पांडव वारणावत जाने के लिए तैयार हो गए हैं।....फिर लाव-लश्कर के साथ कुंती और पांचों पांडवों को वारणावत तीर्थ की ओर प्रस्थान करते हुए बताया जाता है।
 
इधर, एक सेवक आकर महामंत्री विदुर को कहता है कि द्वार पर एक साधु आया है, उसने आपके लिए ये फल दिया है। कहता है चामुण्डा देवी के मंदिर से ये प्रसाद आपके लिए लाया है। ऐसा कहकर वह सेवक वह फल विदुर के हाथ में दे देता है। विदुर उस पपीता के फल को अपने पास रखकर कहते हैं जो आदमी इतनी दूरी से देवी का प्रसाद लेकर आए हैं उन्हें आदर से आंगन में बिठाकर भोजन कराओ। हम स्वयं आकर उनके दर्शन करेंगे। इस पर सेवक कहता है कि मैंने भोजन के लिए उनसे प्रार्थना की थी परंतु उन्होंने कहा कि उनके पास न तो भोजन का समय है और न दर्शनों का, उन्हें बहुत जल्दी है। वे किसी लंबी यात्रा पर जा रहे हैं। उन्होंने केवल इतना ही कहा कि वे जहां जा रहे हैं वहां बहुत ठंडी होगी। 
 
यह सुनकर विदुर सोच में पड़ जाते हैं और फिर कहते हैं कि तोषखाने से गरम चादर लाकर उन्हें भेंट करो और हमारी ओर से शुभकामनाओं का संदेश ले जाकर कहो आपकी यात्रा सफल हो। यह सुनकर सेवक कहता है जो आज्ञा।..सेवक के जाने के बाद महामंत्री विदुर देखते हैं कि उस पपीता के फल में लाल कंकू लगा है। वे उसे हटाते हैं तो उस पपीता का कुछ भाग कटा हुआ नजर आता है। कटे हुए टूकड़े को निकालते हैं तो उसमें एक पत्र रखा होता है जिसे देखकर वे चौंक जाते हैं। उस पत्र को निकाल कर पढ़ते हैं जिस पर लिखा होता है- 'शिव मंदिर के पीछे वट वृक्ष के नीचे।' जय श्रीकृष्‍णा । 
 
रामानंद सागर के श्री कृष्णा में जो कहानी नहीं मिलेगी वह स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें...वेबदुनिया श्री कृष्णा
 
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