क्या महत्व है दशमी के श्राद्ध का?
पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से पितृदोष से मुक्ति मिलने के साथ ही पितरों को भी मुक्ति मिलती है। इसलिए श्राद्धपक्ष में पिंडदान और तर्पण जरूर करना चाहिए। पितृपक्ष में दशमी के श्राद्ध का खासा महत्व बताया गया है। दशामी को जिनका देहांत हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन करना चाहिए। आओ जानते हैं कि इस श्राद्ध का क्या है महत्व और इसे करने से क्या मिलेगा फल।
1. यदि आपके पितरों की या दिवंगतों की मृत्यु दशमी के दिन हुई है तो आप दशमी का श्राद्ध विधिवत रूप से करें।
2. इस दिन गीता के दसवें अध्याय का पाठ भी करें या करवाएं।
3. दशमी तिथि को श्राद्ध करने वाला मनुष्य ब्रह्मत्व की लक्ष्मी प्राप्त करता है।
4. दश्मी तिथि के दिन श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को कभी भी लक्ष्मी की कमी नहीं होती। उसके पास धन-सम्पदा बनी रहती है।
5. दशमी श्राद्ध में उचित विधि से पिंडदान और तर्पण करने से कष्ट भोग रहे पितरों को स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
6. इस दिन कूप में पिंडदान करने से श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ का फल प्रदान होता है।
7. इस दिन पंचबलि भोग लगाने के साथ ही ब्रह्मण भोज कराएं और यथाशक्ति दान दें।