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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 23 सितम्बर 2024 (18:09 IST)

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का नौवां दिन : जानिए अष्टमी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का नौवां दिन : जानिए अष्टमी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें - Nine day of  Ashtami Shradh Paksha Date time and kutup kaal 2024
Ashtami Shradh Paksha 2024: श्राद्ध पक्ष के नौवें दिन अष्टमी का श्राद्ध रहेगा। 24 सितंबर 2024 बुधवार के दिन अष्टमी तिथि है। अष्टमी के श्राद्ध में भी पितरों की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) अष्टमी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।
 
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 24 सितम्बर 2024 को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक।
अष्टमी तिथि समाप्त: 25 सितम्बर 2024 को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक।
 
24 सितंबर 2024 का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:49 से 12:37 तक।
कुतुप काल : दोपहर 11:49 से 12:37 तक।
रोहिणी मुहूर्त : दोपहर 12:37 से 01:26 तक।
अपराह्न काल- अपराह्न 01:26 से 03:51 तक।
 
25 सितंबर 2024 का शुभ मुहूर्त:
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:48 से 12:36 तक।
कुतुप मूहूर्त: दोपहर 11:48 से 12:36 तक।
रोहिण मुहूर्त: दोपहर 12:36 से 01:25 तक।
अपराह्न काल: अपराह्‍न 01:25 से 03:49 तक।

Pitru Paksha Katha
अष्टमी का श्राद्ध कैसे करते हैं | How to do Ashtami Shradh
 
- कुश आसन पर पूर्वमुखी होकर बैठें। देव, ऋषि और पितरों के लिएद धूप-दीप जलाएं, फूल माला चढ़ाएं और सुपारी रखें।
 
- एक थाली में जल में तिल, कच्चा दूध, जौ, तुलसी मिलाकर रख लें। पास में ही खाली तरभाणा या थाली रखें।
 
- कुशे की अंगूठी बनाकर अनामिका अंगुली में पहनकर हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल लेकर तर्पण का संकल्प लें।
 
- इसके बाद जल, कच्चा दूध, गुलाब की पंखुड़ी डाले, फिर हाथ में चावल लेकर देवता एवं ऋषियों का आह्वान करें। 
 
- अब मंत्र उच्चारण करते हुए पहली थाली से जल लेकर दूसरी में अंगुलियों से ऋषि एवं देवता और अंगूठे से पितरों को अर्पित करें।
 
- ध्यान रखें कि पूर्व की ओर देवता, उत्तर की ओर ऋषि और दक्षिण की ओर मुख करके पितरों को जल अर्पित करें।
 
- कुश के आसन पर बैठकर पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी एवं खीर अर्पित करें।
 
- इसके बाद गाय, कुत्ता, कौवा और अतिथि के लिए भोजन से चार ग्रास निकालकर अलग रखें।
 
- अंत में ब्राह्मण, दामाद या भांजे को भोजन कराएं और तब खुद भोजन करें।
अष्टमी के श्राद्ध का महत्व | Significance of Ashtami Shradh
 
1. श्राद्ध पक्ष की अष्‍टमी को कालाष्‍टमी और भैरव अष्टमी भी कहते हैं।
 
2. अष्टमी को गजलक्ष्मी का व्रत भी रखा जाता है जो कि दिवाली की लक्ष्मी पूजा से ज्यादा महत्वपूर्ण है। 
 
3. अष्टमी के श्राद्ध पर खरीदारी की जा सकती है।
 
अष्टमी श्राद्ध के नियम | Ashtami Shraddha ke Niyam
 
1. अष्टमी को जिनका देहांत हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन करना चाहिए।
 
2. जो अष्टमी को श्राद्ध करता है वह सम्पूर्ण समृद्धियां प्राप्त करता है।
 
3. यदि निधन पूर्णिमा तिथि को हुई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या को किया जा सकता है।
 
4. अष्टमी के श्राद्ध के दिन महिलाएं अपने परिवार और बच्चों के लिए व्रत रखती है।
 
5. अष्टमी के श्राद्ध के दिन विधिवत श्राद्ध करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता।