नहीं रहे 'पद्मश्री पुरस्कार' से सम्मानित साहित्यकार गिरिराज किशोर
कानपुर। 'पद्मश्री पुरस्कार' सम्मानित साहित्यकार गिरिराज किशोर का आज कानपुर में निधन हो गया। वे मूल से मुजफ्फरनगर के रहने वाले थे, लेकिन कानपुर के सूटरगंज में रहने लगे थे। उनके निधन से साहित्य के क्षेत्र में शोक छा गया।
मिली जानकारी के अनुसार, पद्मश्री गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में हुआ था। उनके बाबा जमींदार थे, इनके घर में जमींदारी की प्रथा थी, मगर उनको वह पसंद नहीं थी। मुजफ्फरनगर के एसडी कॉलेज से स्नातक करने के बाद गिरिराज किशोर घर से सिर्फ 75 रुपए लेकर इलाहाबाद आ गए।
उसके बाद उन्होंने स्वतंत्र रूप से अखबारों व पत्रिकाओं में लेखन कार्य शुरू किया और इससे मिलने वाले रुपयों से वे अपना खर्च चलाते थे। 1960 में इलाहाबाद में एमएसडब्ल्यू पूरा करने के बाद उन्हें असिस्टेंट एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर बनने का मौका मिल गया। 1960 में उन्होंने आगरा के समाज विज्ञान संस्थान से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की डिग्री ली।
1960 से 1964 तक उत्तर प्रदेश में सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी भी रहे। जुलाई 1966 से 1975 तक तत्कालीन कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुल सचिव रहे। वर्ष 1975 से 1983 तक आईआईटी कानपुर में कुलसचिव भी रहे।
उन्होंने आईआईटी कानपुर में ही 1983 से 1997 के बीच रचनात्मक लेखन केंद्र की स्थापना की और उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जुलाई 1997 में सेवानिवृत्त हो गए।