मणिपुर में हमलों के खिलाफ इंफाल घाटी की महिलाएं सड़कों पर उतरीं
विरोध प्रदर्शन करने वालों में 5 जिलों की महिलाएं
Women protest against attacks in Manipur: मणिपुर में घाटी के निकट पहाड़ियों की परिधि वाले गांवों में हथियारबंद लोगों द्वारा लगातार की जा रही गोलीबारी के विरोध में बृहस्पतिवार की दोपहर इंफाल घाटी के 5 जिलों में हजारों महिलाएं, मुख्य रूप से मीरा पैबिस (महिला मशाल वाहक) सड़कों पर उतर आईं।
पीपुल्स अलायंस फॉर पीस एंड प्रोग्रेस मणिपुर द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन के तहत पश्चिमी इंफाल जिले के सिंगजामेई, काकवा और हेइंगंग में महिलाओं ने हथियारबंद लोगों द्वारा किए जा रहे हमलों की निंदा की। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने इस दौरान मणिपुर की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता की रक्षा के लिए नारेबाजी भी की।
समझौता रद्द करने की मांग : प्रदर्शनकारियों ने कुकी उग्रवादियों और केंद्र सरकार के बीच हस्ताक्षरित सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समझौते को रद्द करने का भी आह्वान किया।
पूर्वी इंफाल जिले के कोंगबा में विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाली विश्वविद्यालय की छात्रा गायत्री एस ने कहा कि हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार और उसकी सुरक्षा एजेंसियां इस बात पर ध्यान दें कि उग्रवादियों को गोला-बारूद कहां से प्राप्त हो रहे हैं। वे पिछले 9 माह से लगातार गांवों पर हमला कर रहे हैं।
मानव श्रृंखला बनाकर पूर्वी इंफाल जिले के खुरई लामलोंग और कोंगबा, थौबल जिले के लिलोंग और विष्णुपुर जिले के मोइरांग लमखाई में भी इसी तरह का विरोध-प्रदर्शन किया गया।
क्षेत्रीय अखंडता को खतरा : प्रदर्शनकारी रेणु लैशराम ने अवैध अप्रवासियों के निर्वासन की वकालत करते हुए कहा कि हम कैसे शांति से रह सकते हैं, जब राज्य की प्रशासनिक एकजुटता और क्षेत्रीय अखंडता को हर दिन खतरा पहुंचाया जा रहा है। राज्य का निर्माण 2000 वर्षों के दौरान स्वदेशी लोगों और उसके शासकों द्वारा किया गया था। हम इस बात को कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं कि राज्य में 40-50 वर्ष पहले आए अवैध प्रवासी इसे तोड़ना चाहते हैं?
पूर्वी इंफाल जिले के पुखाओ शांतिपुर में मंगलवार को दो समुदायों के बीच गोलीबारी में 25 वर्षीय ग्राम स्वयंसेवक की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। जिले में एक अलग घटना में गोली लगने से सेना के एक अधिकारी भी घायल हो गए थे। (भाषा)