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Written By WD

गुमनाम शहीदों का 160वां शहीदी दिवस मनाया

गुमनाम शहीदों का 160वां शहीदी दिवस मनाया - shahid diwas
10 जनवरी 2017 दिन मंगलवार को अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के देहतोरा स्थित कार्यालय पर 1857 स्वतंत्रता क्रान्ति के शहीद छतरपुर के बहादुर सिंह लोधी और दमोह के शहीद गुलाब सिंह लोधी का 160वां शहीदी दिवस मनाया गया।
 

 
इस अवसर पर अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के सम्पादक मानसिंह एडवोकेट राजपूत एडवोकेट ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास ऐसे वीरों कि कहानियों से भरा पडा है जिनके योगदान को कोई मान्यता नहीं मिली है। ऐसे ही हमारे शहीद बहादुर सिंह लोधी और शहीद गुलाबसिंह लोधी हैं। जिनका योगदान भी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहा है लेकिन दुर्भाग्य यह रहा है कि हमारे शहीद बहादुर सिंह लोधी और शहीद गुलाबसिंह लोधी को इतिहासकारों ने पूरी तरह से उपेक्षित रखा है लेकिन आज अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी ऐसे अपने वीरों को याद कर रही है। जिनको आज के ही दिन 160 वर्ष पहले अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था। उन्होंने कहा कि शहीद कभी मरता नहीं है बल्कि वो अपनी धरती मां और अपने देश के लिए न्योछावर हो जाने के कारण अमर हो जाता है। 
 
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उपसंपादक ब्रह्मानंद राजपूत ने कहा कि हमारे शहीद बहादुरसिंह लोधी ने राजपूत रेजिमेंट ग्वालियर में 1857 की स्वतंत्रता क्रांति के समय चार अंग्रेजी अफसरों को मार गिराया और भारत माता की आन, बान, शान के लिए हंसते हंसते फांसी पर लटक गए। और दमोह के शहीद गुलाब सिंह लोधी ने 1857 की स्वतंत्रता क्रांति में अंग्रेजी सेना से त्यागपत्र देकर 2800 ग्रामीणों की सेना बनाकर अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया। 
 
ललितपुर जनपद में अंग्रेजों ने इन्हे गिरप्तार कर 10 जनवरी 1857 को फांसी पर लटका दिया। ऐसे हमारे शहीद बहादुरसिंह लोधी और गुलाबसिंह लोधी का योगदान भी तात्या टोपे, नाना साहब जैसे वीरों से कम नहीं हैं। ब्रह्मानंद राजपूत ने नौजवानों से आह्वान करते हुए कहा कि हिन्दोस्तान का भविष्य नौजवानों के हाथ में है! नौजवानों को एक ऐसे हिन्दुस्तान की रचना के लिए आगे बढ़ना होगा, जहां आर्थिक और राजनीतिक फैसले लेने का अधिकार लोगों के हाथ में हो। जहां अर्थव्यवस्था का इस्तेमाल सभी को सुख और सुरक्षा दिलाने की दिशा में किया जाता हो। जहां लोग, उनकी जिंदगी पर पड़ने वाले हरेक प्रभाव के संबंध में निर्णय ले सकें। तभी इस देश में असली गणतंत्र और लोकतंत्र हो सकता है। अंत में उन्होंने कहा कि शहीद बहादुरसिंह लोधी और शहीद गुलाबसिंह लोधी व उनके साथियों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी, यदि हम उनके बताये गये रास्ते पर चलकर, शोषण और अन्याय से मुक्त समाज की स्थापना कर सकें, देश में मजदूरों, किसानों, औरतों और नौजवानों का राज कायम कर सकें।
 
इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने कहा कि आज के दिन दोनों क्रांतिकारियों शहीद बहादुरसिंह लोधी और शहीद गुलाबसिंह लोधी को अंग्रेजी बस्तीवादी हुकूमत ने फांसी दी थी। ‘क्रांतिकारी शहीदों के सपनों को साकार करने के लिये, हिन्दोस्तान के नौजवानों, मजदूर वर्ग के नेता बनो’ इस नारे ने ही सब कुछ कह दिया है, कि आज हिन्दोस्तानी नौजवानों को मजदूर वर्ग का नेता बनने की जरूरत है।
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता अरब सिंह बॉस ने की और संचालन ब्रह्मानंद राजपूत ने किया इस अवसर पर प्रभाव सिेह, धारा राजपूत, पवन राजपूत, दुष्यंत लोधी, मोरध्वज राजपूत, दीपक लोधी, विष्णु लोधी, लोकेन्द्र लोधी, नीतेश राजपूत, संदीप राजपूत, राकेश राजपूत, मुकेश लोधी, दिनेश लोधी, भूरीसिंह, जीतेन्द्र लोधी, राजवीर सिंह, राहुल लोधी, रवि लोधी सहित समाज के प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।