• Webdunia Deals
  1. खेल-संसार
  2. अन्य खेल
  3. पेरिस ओलंपिक 2024
  4. Rohan Bopanna draws curtains to 22 years of illustrous career in Lawn Tennis
Written By WD Sports Desk
Last Modified: मंगलवार, 30 जुलाई 2024 (12:47 IST)

44 साल की उम्र, 22 साल का करियर, ओलंपिक में हार के बाद बोपन्ना ने लिया संन्यास

मैंने भारत के लिए अपना आखिरी मैच खेल लिया: बोपन्ना

RohanBopanna
अनुभवी भारतीय टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने ओलंपिक के पुरुष युगल के पहले दौर में हार का सामना करने के बाद कहा कि उन्होंने भारत के अपना आखिरी मैच खेल लिया है।बोपन्ना देश के लिए अपने करियर का अंत और बेहतर तरीके से करना चाहते थे लेकिन उन्हें इस बात पर गर्व है कि उन्होंने 22 साल के अपने करियर में कई शानदार सफलता हासिल की।

बोपन्ना और एन श्रीराम बालाजी की पुरुष युगल जोड़ी यहां दुधिया रोशनी में रविवार रात को खेले गए मैच में एडवर्ड रोजर वासेलिन और गेल मोनफिल्स की फ्रांसीसी जोड़ी से 5-7, 2-6 से हार गयी।इस जोड़ी की हार के साथ ही टेनिस में 1996 के बाद भारत के लिए ओलंपिक पदक का सूखा बरकरार रहा। दिग्गज लिएंडर पेस ने अटलांटा ओलंपिक के पुरुष एकल में कांस्य पदक जीता था।

बोपन्ना 2016 में इस सूखे को खत्म करने के करीब आये थे लेकिन मिश्रित स्पर्धा में उनकी और सानिया मिर्जा की जोड़ी चौथे स्थान पर रही थी।बोपन्ना ने खुद को 2026 एशियाई खेलों से बाहर करते हुए कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से देश के लिए मेरा आखिरी टूर्नामेंट था। मैं पूरी तरह से समझता हूं कि मैं किस स्थिति में हूं। मैं अब जब खेल सकूंगा तब टेनिस का लुत्फ उठाउंगा।’’

वह पहले ही डेविस कप से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं।उन्होंने चेहरे पर मुस्कान के साथ कहा, ‘‘मैं जहां हूं वह मेरे लिए पहले ही किसी बड़े बोनस की तरह है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं दो दशकों तक भारत का प्रतिनिधित्व करूंगा। मैंने 2002 में करियर की शुरुआत की थी और  22 साल बाद भी भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है। मुझे इस पर बेहद गर्व है।’’

बोपन्ना ने कहा कि 2010 में ब्राजील के खिलाफ डेविस कप का पांचवां मुकाबला राष्ट्रीय टीम के लिए उनका सबसे यादगार मैच है।उन्होंने कहा, ‘‘ यह निश्चित रूप से डेविस कप इतिहास में एक है। वह अब तक मेरा सबसे अच्छा पल है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि चेन्नई में वह पल और फिर सर्बिया के खिलाफ बैंगलोर में पांच सेट में मैच जीतना भी यादगार मौका था।

उन्होंने कहा, ‘‘ उस समय टीम का माहौल शानदार था। ली (लिएंडर पेस) के साथ खेलना, कप्तान के रूप में हेश (महेश भूपति) के साथ खेलना कमाल का अनुभव था।। उस समय मैं और सेमदेव (देववर्मन) एकल में खेलते थे और हम सभी ने पूरे जी-जान से मुकाबला किया था, यह अविश्वसनीय था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ बेशक, अपना पहला पुरुष युगल ग्रैंड स्लैम जीतना और विश्व नंबर एक बनना बड़ी उपलब्धि रही है। मैं अपनी पत्नी (सुप्रिया) का आभारी हूं, जिन्होंने इस यात्रा में बहुत सारे बलिदान किये हैं।’’

बोपन्ना अपने स्तर पर युगल खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं और अगर उन्हें भविष्य में एआईटीए (अखिल भारतीय टेनिस संघ) के संचालन में शामिल होने का मौका मिलता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं इसे करने के लिए तैयार हो जाऊंगा तो निश्चित रूप से उन पदों पर गौर करूंगा। मैं अभी प्रतिस्पर्धा और यात्रा कर रहा हूं ऐसे में अभी इस तरह की जिम्मेदारी नहीं निभा सकता हूं। मैं इस समय इसके प्रति अपनी सौ प्रतिशत प्रतिबद्धता नहीं दे पाऊंगा।’’

बोपन्ना ने कहा कि ओलंपिक मुकाबले में फ्रांस की टीम में मोनफिल्स की मौजूदगी से उनका काम मुश्किल हो गया। मोनफिल्स  ने आखिरी समय में फैबियन रेबॉल की जगह ली थी।

उन्होंने कहा, ‘‘ मोनफिल्स ने मुझे बताया कि यह उसका सबसे अच्छा युगल मैच था।  एकल मैच खेलने के बाद इस मुकाबले में भी गेंद पर उसका शानदार नियंत्रण था। वह तेज प्रहार और शानदार सर्विस कर रहा था।’’फ्रांस की जोड़ी को स्थानीय प्रशंसकों का भी शानदार समर्थन मिला। स्टेडियम में मौजूद दर्शक लगातार अपने खिलाड़ियों की हौसला अफजाई कर रहे थे।

बोपन्ना ने कहा, ‘‘ मुझे नहीं लगता कि मैंने भारत में डेविस कप कभी इस तरह के माहौल में खेला है। प्रशंसक गाना गा रहे थे , शोर मचा रहे थे, उछल रहे थे। डेविस कप में मैंने यूरोप और दक्षिण अमेरिका में अकसर ऐसा देखा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ दर्शक अपने खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा रहे थे लेकिन इस बात का पूरा सम्मान कर रहे थे कि टेनिस मैच खेला जा रहा है।’’बालाजी ने अहम समय पर अपनी सर्विस गंवा दी, जिससे वह खुद से निराश थे  लेकिन बोपन्ना ने कहा कि उनके साथी ने बहुत अच्छा खेला।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहा कि जिस तरह से उसने खेला उस पर उसे बेहद गर्व होना चाहिए। कुछ चीजें हैं जिन पर वह निश्चित रूप से काम कर सकते हैं और इसे आगे बढ़ने के लिए एक महान उदाहरण के रूप में ले सकते हैं।’’ (भाषा)
ये भी पढ़ें
जिया 16 साल की उम्र में इंग्लिश चैनल पार करने वाली दुनिया की सबसे युवा और सबसे तेज पैरा तैराक बनी