भारतीय हॉकी खिलाड़ी अमित रोहित को पेरिस ओलंपिक के सेमीफाइनल मैच से निलंबित होने के कारण रात को सो नहीं सके थे लेकिन वह टीम के साथी खिलाड़ियों के आभारी है कि ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मैच में रेड कार्ड मिलने पर किसी ने उन पर सवाल नहीं उठाया।
रोहिदास को इस अंतिम आठ मैच से बाहर होने के कारण भारतीय टीम को आखिरी 42 मिनट तक 10 खिलाड़ियों के साथ खेलना पड़ा था।भारतीय टीम ने इस ओलंपिक में अपना अभियान कांस्य पदक के साथ किया। ओलंपिक हॉकी में यह भारत का कुल 13वां पदक था।
रोहिदास ने यहां इंडिया हाउस में शनिवार को टीम के सम्मान समारोह के दौरान PTI-
(भाषा) को दिये साक्षात्कार में कहा, एक मैच के निलंबन के कारण मुझे सेमीफाइनल मैच से बाहर होने का मलाल है। यह काफी अहम मैच था।
उन्होंने कहा, पूरा देश और मेरे साथी खिलाड़ी मेरे साथ थे। टीम ने कभी भावनात्मक रूप से बाहर होने नहीं दिया। मेरा ध्यान बस अगले मैच पर था।
इस 31 साल के खिलाड़ी को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ खेले गए मैच में अंतिम हूटर बजने से 42 मिनट पहले मैदान से बाहर भेज दिया गया था क्योंकि उनकी स्टिक अनजाने में प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी विल कैलनान पर लग गई थी।
मैदानी अंपायर ने इस गंभीर नहीं माना था लेकिन वीडियो रेफरल के बाद उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा।इस फैसले के कारण रोहिदास जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल मैच के लिए निलंबित हो गये। भारत को इस करीबी मैच में 3-2 से हार का सामना करना पड़ा था।
रोहिदास ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, मुझे नहीं पता कि लोग बाहर क्या कह रहे हैं, लेकिन एक खिलाड़ी के तौर पर मैं जानता हूं कि मैं किस दौर से गुजरा हूं। यह जानबूझकर नहीं था, और रेफरी का निर्णय खेल का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि मुझे इस टीम पर काफी गर्व है। रोहिदास ने कहा, एक खिलाड़ी के कम होने के बावजूद शूट-आउट में जीत हासिल करना मेरे लिए बहुत गर्व की बात थी। हमने अपने देशवासियों को दिखाया कि हम संख्या कम होने के बावजूद कैसे लड़ सकते हैं। हम 10 खिलाड़ियों के साथ जीत हासिल करने के साथ 52 साल के बाद ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त देने में सफल रहे।
रोहिदास से जब पूछा गया कि तोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक को टीम स्वर्ण या रजत पदक में बदलने में नाकाम रही और क्या उन्हें इसका मलाल है तो उन्होंने कहा, हो सकता है कि पदक का रंग बदल सकता था, लेकिन यह सब नियति है आप कुछ भी नहीं बदल सकते। अच्छी बात यह है कि हम खाली हाथ नहीं लौट रहे हैं। यह देश का पदक है।
रोहिदास ने ओलंपिक पदक के साथ खेल को अलविदा कहने वाले भारत के दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश की तारीफ की। उन्होंने कहा, श्रीजेश भाई भले ही संन्यास के बाद मैदान पर नहीं होंगे, लेकिन वह एक मार्गदर्शक और सलाहकार के रूप में हमेशा हमारे साथ रहेंगे। मुझे यकीन है कि हम उनकी जगह लेने वाले के साथ एक इकाई के रूप में मिलकर काम करेंगे जैसा कि हम यह सब करते आ रहे हैं।