अगस्त माह में हिन्दू माह श्रावण मास समाप्त होकर नया भादो अर्थात भाद्रपद लग रहा है। इस माह में कई बड़े और महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार रहेंगे। आओ जानते हैं कि कौन कौन से प्रमुख व्रत एवं त्योहार रहेंगे।
1. बकरीद ( 1 अगस्त शनिवार ): एक अगस्त शनिवार को प्रदोष का व्रत है। प्रदोष का व्रत हर माह की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है लेकिन इस श्रावण माह में इस तिथि पर व्रत रखना खास है। इसके अलावा मुस्लिम त्योहार बकरीद भी है।
2. रक्षा बंधन ( 3 अगस्त सोमवार) : 3 अगस्त को भाई बहन का खास त्योहार रक्षा बंधन है। इस दिन पूर्णिमा का व्रत भी रखा जाता और पितृ तर्पण के अलावा ऋषि तर्पण भी किया जाता है। इसी दिन श्रावणी उपाकर्म भी किया जाता है और दक्षिण भारत में नारियल पूर्णिमा मनाई जाती है। इसी दिन श्रावण माह का अंतिम सोमवार भी है।
3. कजरी तीज ( 6 अगस्त गुरुवार) : भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। इस व्रत में भी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु का कामना में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधिवत रूप से करती है।
4. संकष्टी चतुर्थी
( 7 अगस्त शुक्रवार) : भाद्रपद की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। हेरम्ब और बहुला चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
5. जन्माष्टमी (11 अगस्त, मंगलवार) : भाद्रमाह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी कहते हैं। इस दिन रात को 12 बजे शू्न्यकाल के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। हिन्दुओं के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण त्योहार और उत्सव है।
6. एकादशी व्रत (15 अगस्त, शनिवार) : भाद्रपद के कृष्ण पद की एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसका व्रत रखने से जाने अनजाने सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
6. प्रदोष व्रत : (16 अगस्त, रविवार ) : एकादशी के बाद प्रदोष का व्रत भी बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। दोनों ही व्रतों से चंद्र का दोष दूर होता है और मन में शांति रहती रहती है। प्रदोष का व्रत रखने से शिवजी का आशीर्वाद मिलता है।
7. मासिक शिवरात्रि (17 अगस्त, सोमवार) : प्रत्येक माह की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का महत्व है।
8. भाद्रपद अमावस्या
( 19 अगस्त, बुधवार) : हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद अमावस्या को पिठौरी व कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हर अमावस्या पर पितर तर्पण किया जाता है। इस दिन स्नान, दान, पुण्य का महत्व रहता है। काल सर्पदोष निवारण के लिए यह उपयुक्त समय रहता है।
9. हरतालिका तीज ( 21 अगस्त, शुक्रवार) :
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। महिलाओं के लिए यह पर्व बहुत ही खास रहता है। इस दिन महिलाएं और लड़कियां सारा दिन निर्जल रह कर सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त करती हैं। इस दिन शिव और पार्वती की पूजा का विधान है। अधिकतर क्षेत्रों में महिलाएं रातभर जाककर प्रत्येक प्रहर में शिव पार्वती की पूजा करती हैं।
10. गणेश चतुर्थी ( 22 अगस्त, शनिवार) : भादप्रद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसलिए हर साल यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इन दिन घर में गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करके उसे तीसरे या दसवें दिन जल में विसर्जित किया जाने की परंपरा है।
11. ऋषि पंचमी (23 अगस्त, रविवार) : सप्त ऋषियों पूजा का यह दिन भाद्रपद की शुक्ल पंचमी को आता है। यदि रजस्वला काल के दौरान किस महिला से कोई भूल हो जाती है तो इस दिन व्रत रखकर उसके पाप से बचा जा सकता है।
12. राधाष्टमी (26 अगस्त, बुधवार) : भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाजी का जन्म हुआ था। इसी दिन ज्येष्ठ गौरी पूजा भी होती है।
13. परिवर्तनी एकादशी ( 29 अगस्त, शनिवार ) : भाद्रपद शुक्ल की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहते हैं। यह समस्त प्रकार के पापों का नाश कर देती है। इस दिन वामन देव की पूजा भी होती है। कहते हैं कि यह वामन जयंती है।
14. ओणम और मुहर्रम (30 अगस्त, रविवार ) : अगस्त की अंतिम तारीख को ओणम का त्योहार दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस दिन शिया मुसलमान का त्योहार मोहर्रम भी होगा। इसी दिन प्रदोष का व्रत भी रहेगा।