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दुर्गा अष्टमी व्रत कथा और पूजन विधि

दुर्गा अष्टमी व्रत कथा और पूजन विधि - Navratri durga ashtami worship 2022
Durga Ashtami 2022 नवरात्र‍ि के आठवें दिन, मां दुर्गा की आठवीं शक्ति महागौरी का पूजन किया जाता है। मां के महागौरी नाम और स्वरूप को लेकर 3 पौराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं।


यहां पढ़ें दुर्गा अष्टमी व्रत पर पावन कथा एवं पूजन विधि-Maha Ashtami Worship n Katha
 
कथा के अनुसार देवी पार्वती रूप में महागौरी ने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक बार भगवान भोलेनाथ द्वारा कहे गए किसी वचन से पार्वती जी का मन का आहत होता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वर्षों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं। 
 
वहां पहुंचकर वे पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के समान श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौरवर्ण का वरदान देते हैं और वे महागौरी कहलाती हैं।
 
पूजन विधि-Durga Ashtami Puja Vidhi
 
दुर्गा अष्टमी तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है। अष्टमी को मां भगवती का पूजन करने से कष्ट, दुःख मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। मां की शास्त्रीय पद्धति से पूजा करने वाले रोगों से मुक्त होकर धन-वैभव से संपन्न होते हैं। देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर, मनुष्य आदि सभी अष्टमी और नवमी को ही पूजते हैं। कथाओं के अनुसार इसी तिथि को मां ने चंड-मुंड राक्षसों का संहार किया था।
 
- महा अष्टमी के दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है।
- महाष्टमी के दिन स्नान के बाद मां दुर्गा का षोडशोपचार पूजन करें।
- महाष्टमी के दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है इसलिए इस दिन मिट्टी के नौ कलश रखे जाते हैं और देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान कर उनका आह्वान किया जाता है।
- अष्टमी के दिन कुल देवी की पूजा के साथ ही मां काली, दक्षिण काली, भद्रकाली और महाकाली की भी आराधना की जाती है।
- अष्टमी माता को नारियल का भोग लगा सकते हैं, लेकिन इस दिन नारियल खाना निषेध है, क्योंकि इसके खाने से बुद्धि का नाश होता है। 
- माता महागौरी अन्नपूर्णा का रूप हैं। इस दिन माता अन्नपूर्णा की भी पूजा होती है इसलिए अष्टमी के दिन कन्या भोज और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
- 1. खीर, 2. मालपुए, 3. मीठा हलुआ, 4. पूरणपोळी, 5. केले, 6. नारियल, 7. मिष्ठान्न, 8. घेवर, 9. घी-शहद और 10. तिल और गुड़ माता को अर्पित करें। 
- यदि अष्टमी को पारणा कर रहे हैं तो विविध प्रकार से महागौरी का पूजन कर भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए।
- विविध प्रकार से पूजा-हवन कर 9 कन्याओं को भोजन खिलाना चाहिए।
- हलुआ आदि प्रसाद वितरित करना चाहिए। 

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