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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 6 अक्टूबर 2025 (17:32 IST)

पहली बार भारतीय मुद्रा पर भारत माता की छवि अंकित, जानिए छपे आदर्श वाक्य का अर्थ

what is written on 100 rupee coin introduced in india
what is written on 100 rupee coin introduced in india: हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में एक विशेष डाक टिकट और ₹100 का एक स्मारक सिक्का जारी किया। यह सिक्का भारतीय मुद्रा के इतिहास में एक मील का पत्थर है, क्योंकि स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी सिक्के पर राष्ट्र के प्रतीक, भारत माता, की छवि को अंकित किया गया है।

सिक्के का डिज़ाइन और निहितार्थ: ₹100 के इस स्मारक सिक्के को अत्यंत सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किया गया है, जो राष्ट्रीय और आध्यात्मिक प्रतीकों का मिश्रण है:
  • राष्ट्रीय प्रतीक (एक ओर): सिक्के के एक ओर अशोक स्तंभ से लिया गया भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अंकित है, जो संवैधानिक पहचान और गणतंत्र के प्रति सम्मान को दर्शाता है। 
  • भारत माता की छवि (दूसरी ओर): सिक्के की दूसरी ओर वरद मुद्रा में भारत माता की एक भव्य छवि अंकित है। 
  • वरद मुद्रा: यह मुद्रा हथेली को बाहर की ओर करके अर्पण करने का भाव है, जो आशीर्वाद, दान और परोपकार को दर्शाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से यह संदेश देता है कि भारत माता अपनी संतानों  को समृद्धि और आशीर्वाद दे रही हैं। 
  • सिंह (Lion): भारत माता के साथ एक सिंह बना हुआ है, जो भारत की शक्ति, संप्रभुता और साहस का प्रतीक है।
  • समर्पण भाव: इस छवि में स्वयंसेवकों को भक्ति और समर्पण भाव से भारत माता के समक्ष नतमस्तक दिखाया गया है, जो राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा के मूल सिद्धांत को स्थापित करता है।

सिक्के पर अंकित आरएसएस का आदर्श वाक्य: इस विशेष सिक्के पर आरएसएस का आदर्श वाक्य संस्कृत में अंकित है: "राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय, इदं न मम्"। यह वाक्य इस सिक्के के केंद्रीय दर्शन को स्पष्ट करता है और इसका अर्थ अत्यंत गहरा है।

संस्कृत वाक्य का अर्थ :
राष्ट्राय स्वाहा: सब कुछ राष्ट्र को समर्पित है।
  • निहित भाव: यह आहुति का भाव है, जिसका अर्थ है कि व्यक्तिगत स्वार्थ को राष्ट्र की वेदी पर 'स्वाहा' (त्याग) कर देना।
 
इदं राष्ट्राय: सब कुछ राष्ट्र का ही है।
  • निहित भाव: यह स्वीकार करना कि हमारा जीवन, धन, यश और बल—सब कुछ राष्ट्र की ही देन है।
 
इदं न मम्: कुछ भी मेरा नहीं है।
  • निहित भाव: यह 'मैं' के भाव को त्यागकर 'राष्ट्र प्रथम' की भावना को अपनाने का मूल मंत्र है।
 
सारांश: यह आदर्श वाक्य सिखाता है कि व्यक्ति का जीवन और उपलब्धियां राष्ट्र के लिए एक यज्ञ हैं। इस दर्शन के तहत, व्यक्ति अपनी हर उपलब्धि, हर शक्ति और हर सुविधा का श्रेय राष्ट्र को देता है, और व्यक्तिगत अहंकार ('मेरा') का त्याग करता है।

दिल्ली में हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार, भारतीय मुद्रा पर भारत की तस्वीर अंकित की गई है, जो एक ऐतिहासिक क्षण है।”  शताब्दी समारोह का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया गया था और इसमें आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हिस्सा लिया।

 
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