Gyanvapi मामले में Court के आदेश का VHP ने किया स्वागत, हिंदू समुदाय को दी बधाई
Gyanvapi Case : विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने बुधवार को ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में देवी-देवताओं की पूजा करने की अनुमति देने के वाराणसी अदालत के आदेश का स्वागत किया और कहा कि इससे हिंदुओं का हृदय प्रसन्नता से भर उठा है। वर्ष 1993 में अधिकारियों ने तहखाने को बंद कर दिया था।
भारतीय जनता पार्टी ने घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से परहेज करते हुए कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है। वाराणसी जिला अदालत द्वारा सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र कुमार पाठक को ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में देवी-देवताओं की पूजा करने का अधिकार दिए जाने के बाद विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, आज काशी की एक अदालत ने हर हिंदू के हृदय को प्रसन्नता से भर देने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है।
वर्ष 1993 में अधिकारियों ने तहखाने को बंद कर दिया था। तब तक वहां व्यास पूजा-अर्चना करते थे। विहिप नेता ने कहा, हमें प्रसन्नता है कि अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट मिलकर वहां नियमित पूजा-अर्चना सुनिश्चित करने के लिए एक पुजारी नियुक्त कर सकते हैं। ऐसा 31 साल बाद हुआ है।
कुमार ने अदालत के फैसले पर हिंदू समुदाय को बधाई दी और कहा, हमें उम्मीद है कि इसके बाद ज्ञानवापी मामले पर भी अदालत का फैसला शीघ्र आएगा। उन्होंने कहा, हमें विश्वास है कि साक्ष्यों और तथ्यों के आधार पर निर्णय हिंदुओं के पक्ष में आएगा। अदालत के आदेश पर टिप्पणी मांगे जाने पर, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पार्टी मुख्यालय में कहा, यह एक विचाराधीन मामला है।
भाटिया ने कहा, हमें ऐसे मामलों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने कहा कि इससे पहले आज दिन में वाराणसी जिला अदालत ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह वहां पूजा कराने के लिए सात दिन के भीतर व्यवस्था की जाए।
यह आदेश जिला अदालत के न्यायाधीश एके विश्वेश ने पारित किया। पाठक द्वारा दायर याचिका के अनुसार, उनके नाना सोमनाथ व्यास 1993 में अधिकारियों द्वारा तहखाने को बंद किए जाने तक वहां पूजा-अर्चना करते थे।
यादव ने बताया कि पूजा-अर्चना की सुविधा काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा की जाएगी, जो मस्जिद के पास में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रबंधन करता है। हिंदू वादियों का दावा है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर किया गया था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour