बुरहान वानी के साथियों को ढेर कर शहीद हुआ जवान
श्रीनगर। कश्मीर पुलिस के कांस्टेबल मंजूर अहमद नाइक की शहादत को सलाम शब्द शायद कम पड़ जाए, क्योंकि उसने बुरहान वानी के आतंकी साथियों को ढेर करने की खातिर जिस प्रकार अपनी शहादत दी वह स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाने योग्य है। इस बहादुर पुलिसकर्मी की शहादत कितनी पावन और पवित्र थी अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसने जान देने की पहल करते हुए न अपने परिवार के बारे में सोचा था और न ही अपनी गर्भवती पत्नी के बारे में।
कितने वीर होते हैं हमारी सुरक्षा करने वाले, अपनी जान की परवाह किए बिना देशसेवा में शहीद हो जाते हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस के एक बहादुर पुलिसकर्मी ने त्राल में एक मकान में छिपे आतंकवादियों का खात्मा करने की दूसरी कोशिश में जान गंवा दी। पहली बार आतंकवादियों की गोलीबारी में ये जवान बच गया लेकिन दूसरी बार आतंकवादियों से लड़ते हुए उसने अपनी जान गंवा दी।
दो आतंकवादी रेशीपोरा के एक घर में छिपकर पुलिस, सेना और सीआरपीएफ पर लगातार गोलीबारी कर रहे थे। वरिष्ठ अधिकारियों ने मकान को ध्वस्त करने का फैसला किया, जिसके बाद कांस्टेबल मंजूर अहमद नाइक ने दो मौकों पर खुद आगे आकर आतंकवादियों का सामना किया। नाइक अपने पीछे परिवार छोड़ गए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकवादियों की ओर से गोलीबारी से डरे बिना बहादुर पुलिसकर्मी ने मकान के चारों ओर विस्फोटक लगाए। जैसे ही उसने अपने स्थान से पीछे हटना शुरू किया तो उसे एके राइफल से जबरदस्त गोलीबारी का सामना करना पड़ा लेकिन वह किसी तरह बचकर निकलने में सफल रहा।
जब कांस्टेबल से कहा गया कि उसे ऐसा खतरा मोल नहीं लेना चाहिए तो इससे बेपरवाह होकर कहा, कोई बात नहीं। उसने जो विस्फोटक लगाए थे उससे आधा मकान ही ध्वस्त हुआ। नाइक ने फिर मकान के बचे हुए हिस्सों के पास विस्फोटक लगाने का जिम्मा संभाला, लेकिन इस बार जैसे ही वह मकान की ओर बढ़ने लगा तो उसे आतंकवादी की गोलियां लग गईं। घायल होने के बावजूद अंतिम सांस लेने से पहले नाइक ने मकान के शेष हिस्सों पर विस्फोटक लगा दिए।
कांस्टेबल के परिवार में पत्नी, चार साल का बेटा आरजू और दो बेरोजगार भाई हैं। उनकी पत्नी गर्भवती है। नाइक जल्द ही पिता बनने वाले हैं। उत्तरी कश्मीर के उरी निवासी नाइक अपने परिवार के लिए कमाने वाला इकलौता सदस्य था।
इस मुठभेड़ में दोनों आतंकवादी मारे गए। इनमें से एक आतंकवादी हिजबुल मुजाहिदीन का था जिसकी पहचान आकीब भट के रूप में हुई है। दूसरा पाकिस्तानी आतंकवादी था जिसकी पहचान सैफुल्लाह उर्फ ओसामा के तौर पर हुई है। दोनों ही आतंकी कमांडर बुरहान वानी के साथी थे।