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Last Modified: बुधवार, 21 सितम्बर 2022 (22:39 IST)

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- क्या 'मूकदर्शक' सरकार भड़काऊ भाषणों पर रोक के लिए कानून लाना चाहती है?

Supreme Court
नई दिल्ली। विभिन्न टेलीविजन चैनल पर नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर नाराजगी जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को जानना चाहा कि क्या सरकार 'मूक दर्शक' है और क्या केंद्र का इरादा विधि आयोग की सिफारिशों के अनुसार कानून बनाने का है या नहीं?

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि विजुअल मीडिया का ‘विनाशकारी’ प्रभाव हुआ है और किसी को भी इस बात की परवाह नहीं है कि अखबारों में क्या लिखा है, क्योंकि लोगों के पास (अखबार) पढ़ने का समय नहीं है। टीवी पर बहस के दौरान प्रस्तोता की भूमिका का उल्लेख करते हुए न्यायालय ने कहा कि यह प्रस्तोता की जिम्मेदारी है कि वह किसी मुद्दे पर चर्चा के दौरान नफरती भाषण पर रोक लगाए।

न्यायमूर्ति केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों से निपटने के लिए संस्थागत प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है। न्यायालय ने इस मामले में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर असंतोष जताया और मौखिक टिप्पणी की, सरकार मूक दर्शक क्यों बनी बैठी है?

शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा कि क्या वह नफरत फैलाने वाले भाषण पर प्रतिबंध के लिए विधि आयोग की सिफारिशों के अनुरूप कानून बनाने का इरादा रखती है?

इस बीच, पीठ ने भारतीय प्रेस परिषद और नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रॉडकास्टर्स (एनबीए) को अभद्र भाषा और अफवाह फैलाने वाली याचिकाओं में पक्षकार के रूप में शामिल करने से इनकार कर दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा, हमने टीवी समाचार चैनल का संदर्भ दिया है, क्योंकि अभद्र भाषा का इस्तेमाल दृश्य माध्यम के जरिए होता है। अगर कोई अखबारों में कुछ लिखता है, तो कोई भी उसे आजकल नहीं पढ़ता है। किसी के पास अखबार पढ़ने का समय नहीं है।

एक याचिकाकर्ता वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने मामले में भारतीय प्रेस परिषद और नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्रॉडकास्टर्स को पक्षकार बनाने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने अभद्र भाषा पर अंकुश लगाने के लिए एक नियामक तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया।

इसने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े को न्याय मित्र नियुक्त किया और उन्हें याचिकाओं पर राज्य सरकारों की प्रतिक्रियाओं के आकलन को कहा है। शीर्ष अदालत ने मामलों की सुनवाई के लिए 23 नवंबर की तारीख तय की है।(भाषा) 
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