नागपुर। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के उस बयान का स्वागत किया जिसमें उन्होंने कहा कि सामाजिक भेदभाव करने वाली हर चीज को खारिज किया जाना चाहिए। पवार ने कहा कि इस तरह के बयान पर असल में अमल होना चाहिए, इसे केवल दिखावे के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।
आरएसएस प्रमुख ने बताया था पूर्वजों की गलती : यहां एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में शुक्रवार को भागवत ने कहा था कि वर्ण और जाति जैसी अवधारणा को पूरी तरह खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब जाति प्रथा की कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है। उन्होंने यह भी कहा कि अपने पूर्वजों द्वारा की गई गलतियों को स्वीकार करने और माफी मांगने में झिझकना नहीं चाहिए।
पवार बोले- बड़ा हिस्सा भेदभाव से पीड़ित : नागपुर हवाई अड्डा पर पत्रकारों को पवार ने कहा कि इस तरह के बयानों पर असल व्यवहार में अमल की जरूरत है और इसके केवल दिखावे के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।
माफी मांगने से नहीं चलेगा काम : पवार ने कहा कि इस तरह के भेदभाव से समाज का एक बड़ा हिस्सा पीड़ित है। लेकिन यह भी तथ्य है कि जो लोग इस तरह के भेदभाव के लिए जिम्मेदार थे, वे महसूस कर रहे हैं कि इसे खत्म होना चाहिए, यह अच्छी चीज है।
राकांपा प्रमुख ने कहा कि केवल माफी मांगने से काम नहीं चलेगा, सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम समाज के इस तबके के साथ असल में कैसा व्यवहार करते हैं।
मुस्लिमों को नहीं मिला उचित हिस्सा : विदर्भ मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स फोरम की ओर से आयोजित भारतीय मुसलमानों के सामने मुद्दे विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पवार ने ऊर्दू की तरफदारी की लेकिन राज्यों की मुख्य भाषा की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने इस संदर्भ में केरल की स्थिति का उदाहरण दिया।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के बीच यह भावना है कि देश की जनसंख्या में बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है, जो वाकई एक सच्चाई है और इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए कि कैसे उन्हें उनका उचित हिस्सा मिल पाए।
सरकारी भर्ती परीक्षाओं में ऊर्दू के उपयोग की मांग संबंधी एक पूर्व वक्ता के बयान पर पवार ने इस भाषा की तारीफ की और कहा कि कई लोग पीढ़ियों से इससे जुड़े हैं।
उन्होंने कहा कि हमें ऊर्दू विद्यालय एवं शिक्षा पर विचार करना चाहिए, लेकिन ऊर्दू के साथ ही, हमें राज्य की मुख्य भाषा पर विचार करना है।
उन्होंने कहा कि केरल में अल्पसंख्यकों की एक बड़ी आबादी है और व्यक्ति को इस बात के लिए अध्ययन करने की जरूरत है कि सर्वाधिक साक्षरता दर वाले इस राज्य में कैसे अल्पसंख्यक मुख्य भाषा को साथ दे रहे हैं और उन्हें इससे क्या फायदे मिल रहे हैं।
पवार ने कहा कि देश में बेरोजगारी सभी समुदायों में एक मुद्दा है, लेकिन इस मोर्चे पर अल्पसंख्यकों की शिकायत वाकई असली है और उसपर गौर करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय ऊर्दू के माध्यम से कला, काव्य एवं लेखन में बड़ा योगदान कर सकता है क्योंकि उनके सदस्यों में गुणवत्ता एवं दक्षता है लेकिन उन्हें सहयोग और समान अवसर की जरूरत है।
पवार ने कहा कि राकांपा ने हमेशा अल्पसंख्यकों को समुचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है और फिलहाल उसके आठ सांसदों में दो मुसलमान हैं। भाषा Edited by Sudhir Sharma