कंगना रनौत को महंगा पड़ा बयान, किसान नेता ने की कार्रवाई की मांग
Kangana Ranaut Controversy: पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंढेर (Sarwan Singh Pandher) ने 2021 में निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों पर भाजपा सांसद कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की कथित टिप्पणी के लिए बुधवार को उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
अपने बयान को लेकर प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों की आलोचना का सामना करने के बाद, अभिनेत्री एवं भाजपा नेता रनौत ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा है कि कृषि कानूनों पर उनके विचार निजी हैं और वे उनकी पार्टी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
कंगना रनौत ने वर्ष 2021 में निरस्त किए गए कृषि कानूनों को वापस लाने की मांग संबंधी अपना बयान बुधवार को वापस ले लिया और कहा कि ये उनके निजी विचार हैं और पार्टी के रूख को प्रदर्शित नहीं करते हैं। अभिनय से राजनीति में आईं कंगना ने कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि वह अब केवल कलाकार ही नहीं, बल्कि भाजपा सदस्य भी हैं एवं उनका बयान अपनी पार्टी की नीतियों के अनुरूप होना चाहिए।
किसान मजदूर मोर्चा का नेतृत्व करने वाले पंढेर ने कहा कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पहले ही उन कानूनों को निरस्त कर दिया है और अगर पार्टी की सांसद ने उन कानूनों पर कोई बयान दिया है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। क्या कोई नीतिगत मामलों पर बोल सकता है और फिर कह सकता है कि यह उसका निजी विचार था? उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भाजपा बेनकाब हो गई है।
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कांग्रेस ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर रनौत का एक बिना तारीख वाला वीडियो साझा किया जिसमें वह कथित तौर पर हिंदी में कह रही हैं कि जो कृषि कानून निरस्त किए गए हैं उन्हें वापस लाया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि यह विवादास्पद हो सकता है। किसानों के हित में कानून वापस लाए जाएं। किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए, ताकि उनकी समृद्धि में कोई रुकावट नहीं रहे।
बाजवा ने मंगलवार को कहा कि भाजपा अपने किसान विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए रनौत का ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। अगर केंद्र की भाजपा सरकार अपनी मंडी की सांसद द्वारा दिए गए बयानों के पीछे खड़ी नहीं होती है, तो पार्टी को उनके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि रनौत लगातार किसान समुदाय को निशाना बना रही हैं जबकि भाजपा मूकदर्शक बनी हुई है। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि यह कोई संयोग नहीं है, यह एक सोची-समझी रणनीति है। भाजपा उनकी बयानबाजी के जरिए किसानों पर परोक्ष हमला कर रही है।
तीन कानून (कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम; कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम) को नवंबर 2021 में निरस्त कर दिया गया था। किसानों का प्रदर्शन नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ था और संसद द्वारा तीनों कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ। ये कानून जून 2020 में लागू हुए थे और नवंबर 2021 में निरस्त कर दिए गए।
Edited by: Ravindra Gupta