सरदार सरोवर बांध को पूरा होने में लगे 56 साल, पढ़िए बनने की कहानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को गुजरात के नर्मदा जिले स्थित सरदार सरोवर बांध पर अपना 69वां जन्मदिन मना रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी यहां कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे।
सरदार सरोवर बांध को बनाने की पहल आजादी से पहले ही हो गई थी। 1945 में सरदार पटेल ने इसके लिए पहल की थी। 5 अप्रैल 1961 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी नींव रखी, लेकिन कई कारणों से यह प्रोजेक्ट अधूरा रहा।
1987 में इसका निर्माण शुरू हुआ लेकिन 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने लोगों के विस्थापन को लेकर इसके निर्माण पर रोक लगा दी। सरदार सरोवर बांध से 4 राज्यों गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान को फायदा पहुंचता है। इससे 18.45 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई होती है।
2000-2001 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे बनाने की सशर्त अनुमति दी और ऊंचाई को घटाकर 110.64 मीटर करने का आदेश दिया। हालांकि 2006 में डैम की ऊंचाई को बढ़ाकर 121.92 मीटर और 2017 में 138.90 मीटर करने की अनुमति मिल गई। सरदार सरोवर बांध को पूरा होने में करीब 56 साल लगे। 17 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को समर्पित किया।
बांध को बनाने में 86.20 लाख क्यूबिक मीटर क्रांकीट का प्रयोग हुआ। बांध में कुल 30 दरवाजे हैं और हर दरवाजे का वजन 450 टन है। डैम की वॉटर स्टोरेज कैपेसिटी 47.3 लाख क्यूबिक लीटर है। नर्मदा जिले में केवड़िया स्थित सरदार सरोवर बांध से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर साधु द्वीप पर बनी सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टेच्यू ऑफ यूनिटी है। यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
प्रतिमा की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मात्र इसके चेहरे की ऊंचाई ही 7 मंजिली इमारत के बराबर है। इसके हाथ ही 70 फुट लंबे हैं जबकि पैर के निचले हिस्से की ऊंचाई 85 फुट है। लगभग 3,000 करोड़ रुपए के खर्च से करीब साढ़े 3 साल में बनकर तैयार हुई इस मूर्ति की ऊंचाई न्यूयॉर्क स्थित स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से करीब दोगुनी है।
नर्मदा नदी के किनारे फूलों के बगीचे वैली ऑफ फ्लॉवर्स भी बनी हुई है। नर्मदा जिले के केवडिया में कैक्टस गार्डन भी बने हुए हैं। यहीं पर खूबसूरत चिल्ड्रन न्यूट्रिशन पार्क भी बना हुआ है। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी ने हाल ही में टाइम मैगजीन द्वारा 2019 की 100 सर्वश्रेष्ठ जगहों की सूची में जगह बनाई है।