जम्मू-कश्मीर से अलग हुआ लद्दाख, आरके माथुर बने पहले उपराज्यपाल
जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बुधवार मध्यरात्रि को समाप्त हो गया और इसके साथ ही 2 नए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आ गए। अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को संसद द्वारा समाप्त किए जाने के 86 दिन बाद ये निर्णय प्रभावी हो गया।
गुरुवार की सुबह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के लिए इतिहास बदलने वाली रही। लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के रूप में आरके माथुर ने शपथ ली। लेह में हुए कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस गीता मित्तल ने आरके माथुर को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। अब लद्दाख में केंद्र सरकार के सभी कानून लागू होंगे।
कौन हैं आरके माथुर? : आरके माथुर 1977 की बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वे पिछले वर्ष मुख्य सूचना आयुक्त के पद से रिटायर हुए हैं। त्रिपुरा के मुख्य सचिव के तौर पर काम कर चुके हैं। आरके माथुर रक्षा सचिव के तौर पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
ये होंगे बदलाव : कानून के मुताबिक संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा।
केंद्रशासित प्रदेश बनने के साथ ही जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवस्था और पुलिस पर केंद्र का सीधा नियंत्रण होगा, जबकि भूमि वहां की निर्वाचित सरकार के अधीन होगी। लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होगा। इसके साथ ही देश में राज्यों की संख्या 28 रह गई और केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर 9 हो गई। राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने और इसके विभाजन की घोषणा 5 अगस्त को राज्यसभा में की गई थी।