कठुआ आतंकी हमले में शहीद आदर्श नेगी 3 भाई बहनों में थे सबसे छोटे
नई टिहरी। राइफलमैन आदर्श नेगी ने रविवार को अपने पिता से फोन पर बात की थी। अगले दिन दलबीर सिंह नेगी को फिर से फोन आया, लेकिन इस बार उनका बेटा लाइन पर नहीं था। एक सूचना थी कि उनका बेटा जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकवादी हमले में शहीद हो गया है।
सोमवार शाम को आए इस फोन कॉल ने उत्तराखंड के टिहरी जिले के थाती डागर गांव में रहने वाले परिवार को सदमे में डाल दिया। किसान के बेटे आदर्श नेगी (25) 3 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। सेना के जरिए देश की सेवा करने का सपना पूरा करने के लिए उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी।
सोमवार को जम्मू-कश्मीर के कठुआ में सेना के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में उत्तराखंड के 5 जवान शहीद हो गए। नेगी उनमें से एक थे। यह 1 महीने के भीतर जम्मू क्षेत्र में हुआ 5वां आतंकवादी हमला था। दलबीर सिंह नेगी ने बताया कि उनके बेटे ने पिपलीधार के राजकीय इंटर कॉलेज से 12वीं तक पढ़ाई की और फिर बीएससी करने के लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। उन्होंने बताया कि गढ़वाल राइफल्स में भर्ती होने के लिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी।
दलबीर सिंह नेगी ने बहते आंसू रोकने की कोशिश करते हुए कहा कि मैंने उससे आखिरी बार 7 जुलाई को फोन पर बात की थी। वह फरवरी में घर आया था और 26 मार्च को ड्यूटी पर लौट गया था। शहीदों के पार्थिव शरीर जब यहां जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचे तो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और गणेश जोशी ने पांचों शहीदों के ताबूतों पर पुष्पचक्र अर्पित किए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुए कायराना आतंकवादी हमले में उत्तराखंड के 5 बहादुर जवान शहीद हो गए। यह समय हम सभी के लिए बेहद पीड़ादायक है। उन्होंने कहा कि हमारे वीर जवानों ने उत्तराखंड की समृद्ध सैन्य परंपरा को कायम रखते हुए अपनी मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है।
धामी ने कहा कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मानवता के दुश्मन और इस कायरतापूर्ण हमले के दोषी आतंकवादियों को किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें शरण देने वाले लोगों को भी इसके परिणाम भुगतने होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि दु:ख की इस घड़ी में पूरा राज्य उनके परिवारों के साथ खड़ा है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta