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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 28 दिसंबर 2017 (14:56 IST)

रेलवे टिकट घोटाला: पूरे भारत में फैला था आरोपियों का नेटवर्क

रेलवे टिकट घोटाला: पूरे भारत में फैला था आरोपियों का नेटवर्क - Railway ticket scam
नई दिल्ली। रेलवे के तत्काल आरक्षण तंत्र को ध्वस्त करते हुए एक ही बार में सैकड़ों टिकटों का आरक्षण करने वाले अवैध सॉफ्टवेअर का निर्माण करने का आरोपी सीबीआई अधिकारी और उसका सहयोगी देशभर में काम कर रहे थे।
 
सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बुधवार को कहा था कि सीबीआई ने अपने सहायक प्रोग्रामर अजय गर्ग और उसके मुख्य सहयोगी अनिल गुप्ता को सॉफ्टवेयर विकसित करने और रुपए के एवज में सॉफ्टवेअर बांटने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
 
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने गर्ग और गुप्ता को उत्तर प्रदेश के जौनपुर से गिरफ्तार किया और उन्हें कल शाम यहां लाया गया। उनसे कल देर रात तक पूछताछ की गई। उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान पता चला कि उनका नेटवर्क देशभर में फैला है।
 
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने अब तक 10 ऐसे ट्रैवल एजेंटों को चिह्नित किया है जो इस नेटवर्क का हिस्सा थे लेकिन पूछताछ से कई और एजेंटों का भी पता चल रहा है जिन्होंने उनकी अवैध सेवाएं लीं। उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर का मौजूदा संस्करण करीब एक साल पहले विकसित किया गया था।
 
सूत्रों ने बताया कि गर्ग की ओर से विकसित इस प्रणाली का इस्तेमाल कर टिकट बुक कराने वाले ट्रैवल एजेंटों से पैसे बिटकॉइन और हवाला के जरिए लिए गए ताकि वे निगरानी के दायरे में न आएं।
 
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने कहा था, 'शुचिता सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने के लिए एक प्रभावी आंतरिक तंत्र बनाने की हमारी नीति के मुताबिक इस मामले को निपटाया जा रहा है।'
 
सॉफ्टवेअर इंजीनियर गर्ग ने 2012 में सीबीआई में सहायक प्रोग्रामर के तौर पर अपनी सेवाएं देनी शुरू की थीं। उसका चयन एक प्रक्रिया के तहत किया गया था। इससे पहले वह 2007 से 2011 के बीच आईआरसीटीसी के लिए काम करता था।
 
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई की अब तक की जांच से यह संकेत मिला है कि आईआरसीटीसी में काम करने के दौरान ही गर्ग को टिकट बुक करने संबंधी सॉफ्टवेअर की कमजोरियों का पता चला।
 
अधिकारियों ने कहा कि आईआरसीटीसी प्रणाली में अब भी वे कमजोरियां मौजूद हैं और इसीलिए उसके सॉफ्टवेअर हेरफेर कर एक बार में सैकड़ों टिकट बुक करने में सफल रहा। उन्होंने बताया कि ये टिकट असली थे और उनका भुगतान रेलवे को किया गया था। (भाषा)