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Last Updated :नई दिल्ली , शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024 (15:05 IST)

सुप्रीम कोर्ट ने बंद की जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कार्यवाही, जानें क्या है मामला

सुप्रीम कोर्ट ने बंद की जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ कार्यवाही, जानें क्या है मामला - Proceedings against Jaggi Vasudev's Isha Foundation stopped
Jaggi Vasudev Case: उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति की, कोयंबटूर में आध्यात्मिक नेता जग्गी वासुदेव (Jaggi Vasudev) के ईशा फाउंडेशन (Isha Foundation) के परिसर में उसकी 2 बेटियों को बंधक बनाकर रखे जाने का आरोप लगाते हुए दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (habeas corpus petition) पर कार्यवाही शुक्रवार को बंद कर दी।ALSO READ: जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट से राहत, हाईकोर्ट के आदेश पर लगी रोक
 
यह कहा डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने : प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि दोनों महिलाएं बालिग हैं और उन्होंने कहा है कि वे स्वेच्छा से तथा बिना किसी दबाव के आश्रम में रह रही थीं। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका किसी ऐसे व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अनुरोध करते हुए दायर की जाती है, जो लापता है या जिसे अवैध रूप से बंधक बनाकर या हिरासत में रखा गया है।
 
पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने यह भी कहा कि उसके 3 अक्टूबर के आदेश के अनुपालन में पुलिस ने उसके समक्ष स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की है। पीठ ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से उत्पन्न इन कार्यवाहियों के दायरे का विस्तार करना अनावश्यक होगा।ALSO READ: हाईकोर्ट ने जग्गी वासुदेव से पूछा- आपकी बेटी शादीशुदा, दूसरों की बेटियों को क्यों बना रहे हैं संन्यासी
 
याचिका मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई थी : शुरू में याचिका मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष दायर की गई थी। शीर्ष अदालत ने 3 अक्टूबर को तमिलनाडु के कोयंबटूर में फाउंडेशन के आश्रम में 2 महिलाओं को कथित तौर पर अवैध रूप से बंधक बनाकर रखने के मामले की पुलिस जांच पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी थी।
 
उच्च न्यायालय के समक्ष दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को अपने पास स्थानांतरित करते हुए शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु पुलिस को निर्देश दिया था कि वह उच्च न्यायालय के उस निर्देश के अनुपालन में कोई और कार्रवाई नहीं करे जिसमें उसने पुलिस को इन महिलाओं को कथित रूप से अवैध तरीके से बंधक बनाकर रखने के मामले की जांच करने का भी निर्देश दिया था।
 
ईशा फाउंडेशन ने आदेश को दी थी चुनौती : ईशा फाउंडेशन ने उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था जिसमें उसने कोयंबटूर पुलिस को निर्देश दिया गया था कि वह फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी मामलों का विवरण एकत्र करे और आगे के विचार के लिए उन्हें अदालत के समक्ष पेश करे। सर्वोच्च न्यायालय ने इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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