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Last Updated : शनिवार, 11 दिसंबर 2021 (23:21 IST)

राष्ट्रपति कोविंद बोले- IMA से पास आउट होने वाले कैडेट CDS रावत की तरह भारत के सम्मान की रक्षा करेंगे...

राष्ट्रपति कोविंद बोले- IMA से पास आउट होने वाले कैडेट CDS रावत की तरह भारत के सम्मान की रक्षा करेंगे... - President Kovind said - Cadets passing out from IMA will protect India's honor
देहरादून। भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में पासिंग आउट परेड (पीओपी) परेड में शनिवार को 387 जेंटलमैन कैडेट पास आउट हुए हैं, जिनमें से 319 बतौर अफसर भारतीय सेना से जुड़े। आईएमए से पास आउट होने वाले कैडेट उनके जैसे ही हमेशा भारत के सम्मान की रक्षा करेंगे। अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सभी को राष्ट्र की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने का आह्वान किया।

इस बार मित्र देशों के 68 जेंटलमैन कैडेट भी पास आउट हुए, जो कि 8 मित्र देशों अफगानिस्तान, भूटान, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, म्यांमार, तंजानिया व तुर्कमेनिस्तान के शामिल रहे। इस तरह से आईएमए के नाम देश-विदेश की सेना को 63 हजार 668 युवा सैन्य अफसर देने का गौरव जुड़ गया है। इनमें मित्र देशों को मिले 2624 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं।

इस बार पीओपी परेड को खुद देश के राष्ट्रपति ने संबोधित किया और उसकी समीक्षा भी की। अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सभी को राष्ट्र की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने का आह्वान किया। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा झंडा दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत जैसे बहादुर पुरुषों के कारण हमेशा ऊंचा रहेगा।उन्होंने आईएमए में प्रशिक्षण प्राप्त किया था।आईएमए से पास आउट होने वाले कैडेट उनके जैसे ही हमेशा भारत के सम्मान की रक्षा करेंगे।

एक अक्टूबर 1932 में स्थापित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) अब तक भारत सहित भारत के मित्र देशों को 63 हजार 381 युवा अफसर दे चुकी है। इनमें 34 मित्र देशों के 2656 कैडेट्स भी शामिल हैं। 1932 में ब्रिगेडियर एलपी कोलिंस प्रथम कमांडेंट बने थे। इसी में फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ और म्यांमार के सेनाध्यक्ष रहे स्मिथ डन के साथ पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा भी पास आउट हुए थे।

आईएमए ने ही पाकिस्तान को उनका पहला आर्मी चीफ भी दिया है। 10 दिसंबर 1932 में भारतीय सैन्‍य अकादमी का औपचारिक उद्घाटन फील्ड मार्शल सर फिलिप डब्लू चैटवुड ने किया। उन्हीं के नाम पर आईएमए की प्रमुख बिल्डिंग को चैटवुड बिल्डिंग के नाम से जाना जाने लगा।947 में ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह इसके पहले कमांडेंट बने। 1949 में इसे सुरक्षाबल अकादमी का नाम दिया गया और इसका एक विंग क्लेमेनटाउन में खोला गया।

बाद में इसका नाम नेशनल डिफेंस अकेडमी रखा। पहले क्लेमेनटाउन में सेना के तीनों विंगों को ट्रेनिंग दी जाती थी। बाद में 1954 में एनडीए के पुणे स्थानांतरित हो जाने के बाद इसका नाम मिलेट्री कॉलेज हो गया। फिर 1960 में संस्थान को भारतीय सैन्य अकादमी का नाम दिया गया। 10 दिसंबर 1962 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन ने स्वतंत्रता के बाद पहली बार अकादमी को ध्वज प्रदान किया। साल में दो बार (जून और दिसंबर माह के दूसरे शनिवार को) आईएमए में पासिंग आउट परेड का आयोजन किया जाता है।

सपना हुआ पूरा, सैन्य परिवारों के कई बेटे बने सेना के अफसर : उत्तराखंड के 43 नौजवान शनिवार को पास आउट होकर बतौर लेफ्टिनेंट सेना का अभिन्न अंग बने। यूपी के बाद उत्तराखंड के सर्वाधिक अफसर सेना में इस बार कमीशन हुए।इनमें से कई ऐसे हैं जिनके परिवार सैनिक पृष्ठभूमि के ही हैं।

पूर्व सैनिक ताजवर सिंह बिष्ट के पुत्र संदीप बिष्ट शनिवार को सेना में अफसर बन गए। उन्होंने कहा कि पिता से ही देशसेवा करने की प्रेरणा मिली है। कोटद्वार के नीबूचौड़ निवासी संदीप बिष्ट ने आर्मी स्कूल लैंसडाउन से पढ़ाई की। संदीप ने कहा कि बचपन से ही उन्हें सेना में जाकर देशसेवा करने का सपना था। आज सेना में अफसर बन उनका सपना पूरा हो गया।

पहले छह साल तक बतौर सिपाही फौज में नौकरी करने के बाद चमोली जिले के थराली विकासखंड के चेपड़ो गांव निवासी भरत सिंह शनिवार को सेना में अफसर बन गए। भरत अपने परिवार के साथ हर्रावाला की सैनिक कॉलोनी में रहते हैं। भरत को आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) से सेना में अफसर बनने का प्लेटफार्म मिला है। वह छह साल तक सिपाही के तौर पर मैकेनाइज्ड इंफेंट्री में तैनात रहे।

इसके बाद एसीसी से भारतीय सैन्य अकादमी में दाखिला मिला और अपनी मेहनत के बूते पास आउट होकर सेना में अफसर बन गए हैं। उन्हें आर्मी सर्विस कोर में कमीशन प्राप्त हुआ है। उनके पिता बलवंत सिंह भी सेना से हवलदार रैंक से रिटायर हुए हैं।

चंबा ब्लॉक के पाली गांव निवासी मयंक सुयाल भारतीय सेना में अधिकारी बन गए हैं। शनिवार को आईएमए में हुई पासिंग आउट परेड के बाद वे लेफ्टिनेंट बन गए हैं। पीओपी में उनके कंधों पर सितारे लगाते ही परिजनों के चेहरे खिल उठे।

मयंक के लेफ्टिनेंट बनने पर जिले के लोग खासे उत्साहित हैं। चंबा ब्लॉक के मनियार पट्टी के पाली गांव निवासी और वर्तमान में मोथरोवाला देहरादून में निवासरत मयंक सुयाल शनिवार को चार साल के कड़े प्रशिक्षण के बाद सेना में अधिकारी बन गए हैं। उनके पिता परमानंद सुयाल 17वीं गढ़वाल राइफल से बतौर हवलदार सेवानिवृत्त होकर वर्तमान में एफआरआई देहरादून में खेल अधिकारी के पद पर तैनात हैं।

दून के मोथरोवाला के रहने वाले अतुल लेखवार के परिवार की तीन पीढ़ियां देशसेवा को समर्पित हैं। दादा और पापा के बाद खुद अतुल सेना में अफसर बन गए हैं। शनिवार को सैन्य अकादमी देहरादून में हुए दीक्षांत समारोह में अतुल ने कठिन प्रशिक्षण पूरा करके भारतीय सेना में अफसर बन माता-पिता का सपना साकार किया।

पूरा परिवार सेना को समर्पित होने की उपलब्धि पर अतुल के चाचा रमेश प्रसाद लेखवार और मां उमा लेखवार ने कहा कि बेटे ने परिवार का नाम रोशन किया है। अतुल के पिता स्व. सतीश प्रसाद लेखवार सुबेदार के पद से रिटायड हुए थे, जबकि दादा भी सेना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

नैनीताल के कोटाबाग, रामनगर निवासी गौरव कुमार जोशी शनिवार को सेना में अधिकारी बन गए हैं। गौरव के पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर सतीशचंद्र जोशी ने बताया कि उनका सपना बेटे को फौज में अफसर बनाने का था, जो आज पूरा हुआ।