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Last Modified: शनिवार, 14 अगस्त 2021 (21:30 IST)

संसद लोकतंत्र का मंदिर, जनहित के मुद्दों पर चर्चा एवं निर्णय करने का स्थान : राष्ट्रपति कोविंद

संसद लोकतंत्र का मंदिर, जनहित के मुद्दों पर चर्चा एवं निर्णय करने का स्थान : राष्ट्रपति कोविंद - President Kovind said Parliament is a temple of democracy
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि संसद लोकतन्त्र का मंदिर है, जो जनहित से जुड़े विषयों पर चर्चा एवं निर्णय करने का सर्वोच्च मंच है। राष्ट्रपति की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में सम्पन्न संसद के मानसून सत्र के दौरान काफी हंगामा एवं व्यवधान हुआ था और सत्र को समय से पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था।

देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर दूरदर्शन पर प्रसारित राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कोरोनावायरस महामारी के कारण लोगों के स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था पर पड़े विनाशकारी प्रभावों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि महामारी की तीव्रता में कमी आई है, लेकिन कोरोनावायरस का प्रभाव अभी समाप्त नहीं हुआ है।

कोविंद ने कहा, इस समय वैक्सीन हम सबके लिए विज्ञान द्वारा सुलभ कराया गया सर्वोत्तम सुरक्षा कवच है। मैं सभी देशवासियों से आग्रह करता हूं कि वे प्रोटोकॉल के अनुरूप जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवा लें और दूसरों को भी प्रेरित करें। राष्ट्रपति ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों की चिंताओं के संदर्भ में कहा कि इस बात की खुशी है कि सभी बाधाओं के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में (विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में) बढ़ोतरी जारी रही है।

राष्ट्रपति ने कहा, कृषि विपणन में किए गए अनेक सुधारों से अन्नदाता किसान और भी सशक्त होंगे और उन्हें अपने उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त होगी। उन्होंने हाल ही में संपन्न टोक्यो ओलंपिक में देश के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन का जिक्र किया और कहा कि उन्होंने देश का गौरव बढ़ाया है।

कोविंद ने कहा, मैं हर माता-पिता से आग्रह करता हूं कि वे होनहार बेटियों के परिवारों से शिक्षा लें और अपनी बेटियों को भी आगे बढ़ने के अवसर प्रदान करें। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि पचहत्तर साल पहले जब भारत ने आजादी हासिल की थी, तब अनेक लोगों को यह संशय था कि भारत में लोकतंत्र सफल नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग शायद इस तथ्य से अनभिज्ञ थे कि प्राचीनकाल में लोकतंत्र की जड़ें इसी भारत भूमि में पुष्पित-पल्लवित हुई थीं। कोविंद ने कहा कि आधुनिक युग में भी भारत, बिना किसी भेदभाव के सभी वयस्कों को मताधिकार देने में अनेक पश्चिमी देशों से आगे रहा है।

उन्होंने कहा, हमारे राष्ट्र-निर्माताओं ने जनता के विवेक में अपनी आस्था व्यक्त की और ‘हम भारत के लोग’ अपने देश को एक शक्तिशाली लोकतंत्र बनाने में सफल रहे हैं। कोविंद ने कहा, हमारा लोकतन्त्र संसदीय प्रणाली पर आधारित है, अतः संसद हमारे लोकतन्त्र का मंदिर है। जहां जनता की सेवा के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर वाद-विवाद, संवाद और निर्णय करने का सर्वोच्च मंच हमें उपलब्ध है।

गौरतलब है कि हाल ही में सम्पन्न संसद के मानसून सत्र के दौरान काफी हंगामा एवं व्यवधान हुआ था और सत्र को समय से पहले 11 अगस्त को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था, जबकि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसे 13 अगस्त तक चलना था। उन्नीस जुलाई को संसद सत्र शुरू होने के साथ ही विभिन्न मुद्दों पर सरकार एवं विपक्ष के बीच गतिरोध बन गया और इसे अचानक समय से पहले स्थगित कर दिया गया।

विपक्ष ने सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने एवं उनकी आवाज को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया, जबकि सरकार ने आरोप लगाया कि सुनियोजित तरीके से विपक्ष ने संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी। वहीं राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, यह सभी देशवासियों के लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारे लोकतंत्र का यह मंदिर निकट भविष्य में ही एक नए भवन में स्थापित होने जा रहा है। यह भवन हमारी रीति और नीति को अभिव्यक्त करेगा।

उन्होंने कहा, इसमें हमारी विरासत के प्रति सम्मान का भाव होगा और साथ ही समकालीन विश्व के साथ कदम मिलाकर चलने की कुशलता का प्रदर्शन भी होगा। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस नए भवन के उद्घाटन को विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र की विकास यात्रा में एक ऐतिहासिक प्रस्थान बिन्दु माना जाएगा।(भाषा)
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