नई दिल्ली। साफ मौसम और हवाओं की गति बढ़ने से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में कमी आई जिससे बुधवार को दिल्ली वालों ने राहत की सांस ली। मौसम विभाग के अधिकारी के मुताबिक अगले 3-4 दिन में प्रदूषण में और कमी आने की उम्मीद है।
वायु गुणवत्ता की निगरानी एवं पूर्वानुमान लगाने वाली सरकारी एजेंसी 'सफर' के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार रात 8 बजकर 45 मिनट पर दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 217 रहा, जो 'खराब' श्रेणी में आता है हालांकि कई इलाकों में प्रदूषण स्तर 'औसत' श्रेणी में रहा।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 0-50 के बीच 'अच्छा', 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101-200 के बीच 'मध्यम', 201-300 के बीच 'खराब', 301-400 के बीच 'अत्यंत खराब', 401-500 के बीच 'गंभीर' और 500 के पार 'बेहद गंभीर' माना जाता है।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पीएम-2.5 का स्तर गिरकर 111 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रह गया। पीएम 2.5 हवा में मौजूद सूक्ष्म कण हैं जिनका व्यास 2.5 माइक्रॉन होता है और ये सांस के जरिए फेफड़ों और रक्त धमनियों में पहुंचकर स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालते हैं, वहीं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पीएम10 की सघनता बुधवार दोपहर 1.30 बजे 226 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रही जबकि सुरक्षित स्तर 60 से 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर है।
मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक साफ आसमान और बादलों की अनुपस्थिति से सूर्य की किरणें सीधे धरती तक पहुंचती हैं जिससे सतह के करीब की हवा गर्म होती है और प्रदूषण के कण ऊपर उठते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 2 दिनों से यही हो रहा है।
मौसम विभाग के अधिकारी ने कहा कि हालांकि बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात को बादल छाने, बहुत हल्की बूंदाबांदी होने और हवाओं की गति मंद होने की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा और वायु गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है।
उन्होंने कहा कि गुरुवार को तेज हवाओं और बारिश की वजह से फिर स्थिति सुधरेगी और 10 नवंबर से दिल्ली वाले अपेक्षाकृत साफ हवा में सांस ले सकेंगे। सफर ने कहा कि दिल्ली के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक में उम्मीद से कहीं अधिक तेजी से सुधार हुआ है और दिन में धूप निकलने से इसमें और सुधार होने की उम्मीद हैं।
एजेंसी ने कहा कि हवा की दिशा की वजह से सबसे अधिक पराली जलाने की घटनाओं के बावजूद दिल्ली-एनसीआर के वातावरण में धुएं की मात्रा कम रही। सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी एवं पूर्वानुमान सेवा 'सफर' ने बताया कि मंगलवार को पंजाब में पराली जलाने की 6,668 घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस मौसम में सबसे अधिक हैं। हालांकि हवाओं की दिशा की वजह से इसका दिल्ली पर प्रभाव नगण्य होगा।
'सफर' ने कहा कि दिल्ली की हवा में मौजूद पीएम 2.5 में पराली से होने वाले धुएं की हिस्सेदारी बुधवार को मात्र 3 फीसदी रही और गुरुवार को इसके 2 फीसदी रहने का अनुमान है। 'सफर' ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण क्षेत्र में साफ हवा आई है। अगले 2 दिनों में कुछ जगहों पर गरज के साथ बारिश हो सकती है और 7 नवंबर से हवा की दिशा भी दक्षिण-पूर्व होने की उम्मीद है जिससे धुआं दिल्ली-एनसीआर तक नहीं पहुंचेगा।
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय की ओर से अधिकृत पर्यावरण प्रदूषण (निवारण एवं नियंत्रण) प्राधिकरण ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में हॉट मिक्स प्लांट, पत्थर तोड़ने वाली मशीनों और प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन आधारित उद्योगों पर लगी रोक की मियाद 8 नवंबर तक बढ़ा दी है।
उच्चतम न्यायालय ने अगले आदेश तक दिल्ली-एनसीआर में निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। रविवार को दिल्ली में प्रदूषण 3 साल के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था।