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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: गुरुवार, 22 जून 2023 (18:00 IST)

2024 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चाबंदी के लिए पटना में होगी विपक्षी एकता की अग्निपरीक्षा?

2024 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चाबंदी के लिए पटना में होगी विपक्षी एकता की अग्निपरीक्षा? - Opposition unity test in Patna against Narendra Modi
Bihar Oppostion Unity Meeting: 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के विजयी रथ को रोकने और नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक सशक्त चेहरा खड़ा करने के लिए शुक्रवार को पटना में होने वाली विपक्षी एकता की महाबैठक पर सबकी नजरें टिकी हुई है। विपक्षी दलों के होने वाले इस महामंथन की बैठक का मुख्य एजेंडा लोकसभा चुनाव के लिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाना है। बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के कई नेता पटना पहुंचना शुरु हो गए है और उनके बीच मेल-मुलाकात का दौर जारी है। 

विपक्ष की बैठक में कौन-कौन होगा शामिल?-2024 के लोकसभा चुनाव के नजरिए से विपक्षी दलों बेहद महत्वपूर्ण बैठक में विपक्ष के 18 दलों के शामिल होने की उम्मीद है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेजबानी में हो रही बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार,पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।
 
विपक्ष दलों की बैठक से पहले दिखी तकरार-पटना में विपक्षी दलों की एकता की महा बैठक से पहले ही बैठक के एंजेंडे को लेकर मतभेद सामने आ गए है। बैठक से पहले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने बड़ी शर्त रख दी है। बताया जा रहा है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर 23 जून को होने वाली गैर-बीजेपी दलों की बैठक में दिल्ली को लेकर केंद्र के अध्यादेश पर चर्चा करने और इस पर अपना रूख स्पष्ट करने को कहा है। वहीं बैठक से पटना में लगाए गए पोस्टर और आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ताओं की ओर से अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्ष का साझा उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर तकरार हो गई है।  
 
मोदी के खिलाफ कौन होगा विपक्ष का चेहरा?-पटना में होने वाली बैठक से पहले ही आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अरविंद केजरीवाल को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार करने की जो मांग की है वहीं विपक्षी एकता में सबसे बड़ा पेंच है। दरअसल 2024 के लोकसभा चुनाव में अगर विपक्ष को मोदी के चेहरे को चुनौती देनी है तो उसको एक चेहरा तलाशना होगा और यहीं चेहरा कौन होगा, यहीं  विपक्षी एकता की सबसे बड़ी चुनौती है। अरविंद केजरीवाल सहित कई क्षेत्रीय क्षत्रप खुद को 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चेहरे के रूप में पेश करने में जुटे हुए है।
 
अगर 2024 के लोकसभा चुनाव में अगर विपक्ष को मोदी के चेहरे को चुनौती देनी है तो उसको पटना बैठक में एक चेहरा तलाशना होगा और यहीं चेहरा कौन होगा, इसको तय करना ही विपक्षी नेताओं के सामने किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है।
 
विचारधारा पर क्षेत्रीय दलों का टकराव?-विपक्ष की एकता में सबसे बड़ा संकट विचारधारा का है। कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों की विचारधारा का एक नहीं होना विपक्ष की एकता के लिए सबसे बड़ा संकट है। दरअसल देश की विभिन्न क्षेत्रीय दल अपने-अपने राज्य में एक विचारधारा के साथ आगे बढ़ते है और उनके साथ ही उनका अस्तित्व है। पश्चिम बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस राज्य में एक दूसरे के मुख्य विरोधी दल है। बंगाल में पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर कांग्रेस ममता सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर कर संघर्ष कर रही है, तो दूसरी ओर महाराष्ट्र में वीडी सावरकर के मुद्दें पर उद्व ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवेसना और कांग्रेस अक्सर आमने सामने रहती है। ऐसे में  इन दलों  को एक साथ आकर लोकसभा चुनाव लड़ना बड़ी  चुनौती होगी।
  
वहीं विपक्षी दलों की इस बैठक में कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय पार्टी है और लोकसभा चुनाव से पहले वह मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आमने सामने है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से चार महीने पहले इन तीन  बड़े  राज्यों में आमने सामने होने वाली  कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कैसे एकता के सूत्र में बंधेगी, यह बड़ा सवाल है। 
 
विपक्ष दलों में कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी एक मात्र पार्टी है जिसकी दो राज्यों में सरकार है। दिल्ली और पंजाब में सत्तारूढ दल आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे की धुर विरोधी है, वहीं दूसरी ओर जब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी खुद को भाजपा  के विकल्प के रूप में पेश कर रही है तब वह विपक्षी एकता में कैसे फिट बैठेगी, यह अपने आप में बड़ा सवाल है। 
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