Finance Minister Nirmala Sitharaman News : वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि तमिलनाडु सरकार का रुपए के चिन्ह को हटाने का कदम खतरनाक मानसिकता का संकेत है, जो देश की एकता को कमजोर करता है। उन्होंने यह भी कहा कि रुपए का चिन्ह मिटाकर द्रमुक न केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक को खारिज कर रही है, बल्कि एक तमिल युवा के रचनात्मक योगदान की भी अवहेलना कर रही है। उन्होंने कहा, रुपए का प्रतीक चिह्न अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी तरह से पहचाना जाता है और वैश्विक वित्तीय लेनदेन में भारत की पहचान के रूप में काम करता है।
तमिलनाडु सरकार ने भाषा को लेकर केंद्र के साथ बढ़ते विवाद के बीच, वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट के लोगो में भारतीय रुपए के देवनागरी लिपि वाले प्रतीक चिह्न की जगह एक तमिल अक्षर का उपयोग किया है। उसके जवाब में वित्तमंत्री ने यह बात कही है।
सीतारमण ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, यह एक खतरनाक मानसिकता का संकेत है जो देश की एकता को कमजोर करता है और क्षेत्रीय गौरव के बहाने अलगाववादी भावनाओं को बढ़ावा देता है...। उन्होंने कहा, रुपए का प्रतीक चिह्न अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी तरह से पहचाना जाता है और वैश्विक वित्तीय लेनदेन में भारत की पहचान के रूप में काम करता है।
उन्होंने कहा, ऐसे समय में जब भारत यूपीआई का उपयोग करके सीमापार भुगतान पर जोर दे रहा है, क्या हमें वास्तव में अपने स्वयं के राष्ट्रीय मुद्रा प्रतीक को कमतर आंकना चाहिए? सीतारमण ने कहा, वास्तव में, इंडोनेशिया, मालदीव, मॉरीशस, नेपाल, सेशेल्स और श्रीलंका सहित कई देश आधिकारिक तौर पर 'रुपया' या इसे मिलेजुले नाम को अपनी मुद्रा के नाम के रूप में उपयोग करते हैं...।
उन्होंने कहा, सभी निर्वाचित प्रतिनिधि और अधिकारी संविधान के तहत हमारे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने की शपथ लेते हैं। राज्य बजट दस्तावेजों से रुपए के चिन्ह जैसे राष्ट्रीय प्रतीक को हटाना उस शपथ के खिलाफ है। यह राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता को कमजोर करता है।
सीतारमण ने कहा, विडंबना यह है कि रुपए के चिन्ह को द्रमुक के पूर्व विधायक एन. धर्मलिंगम के बेटे डी उदय कुमार ने डिजाइन किया था। अब इसे मिटाकर द्रमुक न केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक को खारिज कर रही है, बल्कि एक तमिल युवा के रचनात्मक योगदान की भी पूरी तरह से अवहेलना कर रही है।
इसके अलावा, तमिल शब्द रुपाई की जड़ें संस्कृत शब्द रुपया से गहराई से जुड़ी हैं, जिसका अर्थ है गढ़ी हुई चांदी या ऐसा चांदी का सिक्का जिसपर काम हुआ हो। यह शब्द तमिल व्यापार और साहित्य में सदियों से चलता आ रहा है और आज भी, रुपाई तमिलनाडु और श्रीलंका में मुद्रा का नाम बना हुआ है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour