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Written By Author वृजेन्द्रसिंह झाला

मवेशियों पर लंपी का कहर, जलवायु परिवर्तन ने बिगाड़े हालात, होम्योपैथी की यह दवा हो रही है कारगर

मवेशियों पर लंपी का कहर, जलवायु परिवर्तन ने बिगाड़े हालात, होम्योपैथी की यह दवा हो रही है कारगर - Lumpy virus havoc on cattle, climate change worsened the situation, homeopathy medicine is being effective
भारत के 12 से ज्यादा राज्यों में लंपी वायरस गायों पर कहर बनकर टूट पड़ा है। जिस तेजी से यह वायरस मवेशी को संक्रमित कर रहा है, इसे पशुओं का 'कोरोना' कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। यूं तो मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्य इस खतरनाक वायरस की चपेट में हैं, लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान राजस्थान में हुआ है। अकेले राजस्थान में 37000 मवेशियों की मौत हो चुकी है, जबकि पूरे भारत में यह आंकड़ा 60 हजार के करीब है। इस वायरस के कारण प्रभावित राज्यों में दूध का उत्पादन भी घट गया है। 
 
केन्द्र सरकार भी देशभर में 57000 मवेशियों की मौत की पुष्टि कर चुकी है। हालांकि वास्तविक संख्‍या इससे काफी ज्यादा बताई जा रही है। राजस्थान में सबसे ज्यादा इस वायरस का असर देखा गया। राजस्थान में लाखों की संख्‍या में मवेशी लंबी वायरस से संक्रमित हुए हैं। इसके दूध का उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। वेबदुनिया के गुजरात संवाददाता के अनुसार राज्य में अब लंपी संक्रमण नियंत्रण में आ गया है, वहां 1600 के लगभग पशुओं की मौत हो चुकी है। केन्द्र सरकार ने प्रभावित राज्यों को वैक्सीन भी उपलब्ध करवाई है। 
 
जयपुर जिले में 2000 से ज्यादा पशुओं की मौत : राजस्थान में जयपुर जिला पशुपालन विभाग के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. प्रवीण कुमार ने वेबदुनिया को बताया कि 9 सितंबर तक जिले में संक्रमित पशुओं की संख्‍या 50 हजार से अधिक है, जबकि 2000 से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है। वायरस के लक्षणों पर चर्चा करते हुए डॉ. प्रवीण ने कहा कि त्वचा पर गांठें होने के अलावा पशुओं को बुखार भी हो जाता है। इंसानों को इससे कोई खतरा नहीं है, लेकिन दूध का का उबालकर ही इस्तेमाल करना चाहिए। 
 
उन्होंने कहा कि विभाग जिले में पशुओं को 30 हजार से ज्यादा टीके लगा चुका है। इसके अलावा विभागीय कर्मचारी अस्पताल के अलावा पशुपालकों के घर जाकर भी उनका इलाज कर रहे हैं। डॉ. प्रवीण ने कहा कि पशुओं की मौत के बाद ग्राम पंचायत के माध्यम से उन्हें गड्‍ढा खोदकर दफन किया जाता है। 
 
वहीं, राजस्थान के सर्वाधिक प्रभावित जिले बीकानेर के पशुपालन विभाग के जॉइन्ट डायरेक्टर डॉ. वीरेन्द्र नेत्रा ने वेबदुनिया को कहा कि स्थितियां अब नियंत्रण में हैं। जिले में 80 हजार से ज्यादा पशु संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 2600 से ज्यादा की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा लंपी का संक्रमण गायों में ही देखने को मिला है। 
 
पंजाब में 10000 मवेशियों की मौत : अन्य राज्यों में हालात अच्छे नहीं है। पंजाब में इस बीमारी से 1.26 लाख मवेशी प्रभावित हुए हैं, वहीं 10,000 से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है। पंजाब में 15 से 20 फीसदी दूध उत्पादन प्रभावित हुआ है। यूपी में करीब 200 गायों की लंपी वायरस से मौत हो चुकी है, जबकि 21 हजार गाय इससे संक्रमित बताई जा रही हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मवेशियों में लंपी वायरस के कम से 173 मामले सामने आए हैं। इनमें से अधिकतर मामले दक्षिण और पश्चिमी जिलों में मिले हैं। हालांकि यहां लंपी से किसी भी मवेशी की मौत की सूचना नहीं है।
 
मप्र के 10 जिलों में फैला लंपी : मध्य प्रदेश के 10 जिलों में 2 हजार से ज्यादा पशु लंपी त्वचा रोग से पीड़ित हैं। प्रशासन ने इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावित गांवों और जिलों में पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित कर दिया है। मुख्‍यमंत्री ने कहा है कि लंपी बीमारी से बचाव के लिए अधिक से अधिक पशुओं में आवश्यक टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। मध्य प्रदेश भोपाल में राज्य पशु रोग अन्वेषण प्रयोगशाला में कंट्रोल रूम बनाया गया है। सरकार ने एमरजेंसी नंबर 0755-2767583 जारी किया है, जिस पर कॉल करके किसान परेशानियां बता सकते हैं।
होम्योपैथी दवा कारगर : वैटनरी कॉलेज महू के विभागाध्यक्ष (मेडिसिन) डॉ. आरके बघेरवाल ने वेबदुनिया को बताया कि यह पॉक्स ग्रुप का वायरस है, लेकिन इंसान को यह प्रभावित नहीं करता। राजस्थान में यह जलवायु में आए परिवर्तन के कारण ज्यादा फैला। चूंकि पहले वहां खूब गर्मी पड़ी फिर काफी बारिश भी हुई। इससे वायरस का संक्रमण ज्यादा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन के साथ ही होम्योपैथी की दवा (Rananculus Bubo 200 की 10 बूंदें दिन में 3 बार) भी लंपी पर काफी असरकारक सिद्ध हो रही है। डॉ. बघेरवाल ने कहा कि इसके लिए जनजागरूकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए। 
 
महाराष्ट्र में पशुओं के परिवहन पर रोक : लंपी त्वचा रोग महाराष्ट्र के अहमदनगर में पशुओं में व्यापक रूप से फैल रहा है। राज्य के राजस्व एवं पशुपालन मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि पशुपालन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इस बीमारी के इलाज के लिए सकारात्मक कदम उठाएं। इस चर्म रोग के प्रकोप को रोकने के लिए प्रदेश में पशुओं का शत-प्रतिशत टीकाकरण किया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए राज्य में पशुधन बाजार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और जिले और राज्य में पशुओं का परिवहन बंद कर दिया गया है।
क्या है लंपी वायरस? : कैपरी पॉक्स वायरस को लंपी के तौर पर जाना जाता है। पशुओं की त्वचा पर फैलने वाले इस संक्रमण से त्वचा पर गांठें उभर आती हैं। इस वायरस की शुरुआत पॉक्सविरिडाए डबल स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस परिवार से होती है। इसे पॉक्स वायरस भी कहते हैं। इस परिवार में वर्तमान में 83 प्रजातियां हैं। इससे जुड़ी बीमारियों में स्मॉलपॉक्स यानी चेचक भी शामिल है। पशु स्वास्थ्य के लिए WHO ने इस बीमारी को अधिसूचित किया है। यह वायरस एशिया और अफ्रीका में पाया जाता है।  कीट-पतंगे रोगवाहक का करते हैं, जो कि इस बीमारी को एक पशु से दूसरे पशु में फैला देते हैं।
 
लंपी के लक्षण : आमतौर पर इस वायरस से संक्रमित पशु की त्वचा पर गांठें उभर आती हैं। इनमें पस भी पड़ जाता, जो कि यह वायरस महीनों तक बना रहता है। यह वायरस जानवर की लार, नाक के स्राव और दूध में भी पाया जा सकता है। इसके अलावा, पशुओं को बुखार आना, लसिका ग्रंथियों में सूजन आना, अत्यधिक लार आना और आंख आना आदि वायरस के अन्य लक्षण हैं। पशुओं में बीमारी फैलने पर उन्हें अलग रखने की सलाह दी जाती है। भारत में इस वायरस के लिए पशुओं के गोट पॉक्स वैक्सीन की डोज दी जा रही है।