गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Khalistani terrorist Lakhbir Singh Rode, nephew of Bhindranwale, dies in Pakistan
Written By
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 5 दिसंबर 2023 (20:38 IST)

खालिस्तानी आतंकी लखबीर सिंह रोडे की पाकिस्तान में मौत, भिंडरावाले का था भतीजा

खालिस्तानी आतंकी लखबीर सिंह रोडे की पाकिस्तान में मौत, भिंडरावाले का था भतीजा - Khalistani terrorist Lakhbir Singh Rode, nephew of Bhindranwale, dies in Pakistan
भारत के ‘सर्वाधिक वांछित’ अपराधियों में शामिल खालिस्तानी आतंकवादी और जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे लखबीर सिंह रोडे की पाकिस्तान में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि खालिस्तानी अलगाववादी आंदोलन के पीछे 72 वर्षीय रोडे का दिमाग था। सैन्य कार्रवाई में 1984 में भिंडरावाले की मौत के बाद उसका यह भतीजा पाकिस्तान भाग गया था।
 
अधिकारियों ने बताया कि सिंह का पैतृक गांव मोगा जिले के रोडे में था। सिंह की दिल का दौरा पड़ने से रावलपिंडी के एक अस्पताल में मौत हो गई। कुछ खबरों के मुताबिक उसकी मौत सोमवार को हुई जबकि अन्य से संकेत मिलता है कि उसने शनिवार को अंतिम सांस ली।
 
प्रतिबंधित खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट का स्वयंभू प्रमुख विभिन्न मामलों में आरोपी था और भारत के अनुरोध पर इंटरपोल द्वारा उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था।
 
वह पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सीमा पार से भारत में हथियार और विस्फोटक की खेप भेजने में सक्रिय रूप से लगा हुआ था।
 
सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए उसके डोजियर के अनुसार पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए विभिन्न आरोपियों ने पूछताछ के दौरान कहा था कि वे रोडे के संपर्क में थे और खालिस्तान आंदोलन के लिए विध्वंसक गतिविधियों के लिए और अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों (वीवीआईपी) और राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाने के अलावा लोगों को आतंकित करने के लिए उसके कहने पर हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की खेप भारत लाए थे।
 
डोजियर में कहा गया कि प्रतिबंधित आतंकवादी समूह ‘इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन’ के प्रमुख सिंह ने ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा और अमेरिका में अपने कार्यालय खोले थे और 'हिंसक तरीकों से खालिस्तान' का प्रचार कर रहा था।
 
दुबई से पंजाब लौटने के बाद वह 1982 में खालिस्तान आंदोलन में शामिल हो गया। 1984 में स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई के बाद सिंह नेपाल भाग गया जहां से उसने 1986 में फिर से अपना ठिकाना दुबई में स्थानांतरित कर लिया। कनाडा में अपने परिवार को बसाने के बाद, सिंह लाहौर आ गया जहां वह 1991 से रह रहा था।
 
वह उन 20 सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों में से एक था जिनके प्रत्यर्पण की मांग भारत ने 13 दिसंबर 2001 को जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) आतंकवादियों के पांच सदस्यीय समूह द्वारा संसद पर हमले के मद्देनजर पाकिस्तान से की।
ये भी पढ़ें
वैश्विक बाजारों के कमजोर रुख से सोने के भावों में आई गिरावट, चांदी भी फिसली