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Last Updated : शनिवार, 14 सितम्बर 2024 (11:17 IST)

अरविंद केजरीवाल की रिहाई से हरियाणा विधानसभा चुनाव में AAP को कितना फायदा?

अरविंद केजरीवाल की रिहाई से हरियाणा विधानसभा चुनाव में AAP को कितना फायदा? - How much will AAP benefit from the release of Arvind Kejriwal in Haryana Assembly elections?
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजन सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद एक्शन मोड में नजर आ रहे है। केजरीवाल ऐसे समय जेल से बाहर आए है जब जम्मू कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनाव चल रहे है औऱ हरियाणा में केजरीवाल की पार्टी सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। ऐसे में केजरीवाल की तिहाड़ से रिहाई आम आदमी पार्टी के लिए बड़ी संजीवनी है।

हरियाणा में सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस से गठबंधन की संभावना खत्म होने के बाद नामांकन के आखिरी दौर में पार्टी ने अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान किया और चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल अब  तक मुख्य जिम्मेदारी निभा रही थी, ऐसे में अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने से चुनाव में आम आदमी पार्टी को मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल सकती है।

AAP से हरियाणा में किसका होगा नुकसान-दिल्ली से सटे हरियाणा में भाजपा पिछले 10 साल से सत्ता में काबिज है लेकिन इस बार विधानसभा चुनावों में उसको कांग्रेस से तगड़ी चुनौती मिलती हुई दिख रही है। चुनाव से पहले आए तमाम ओपिनियन पोल राज्य में कांग्रेस को बढ़तत बनाते हुए दिखाई  दे रही है। सत्ता विरोधी लहर के चलते यह माना जा रहा है कि इस बार हरियाणा से बीजेपी की विदाई तय है। ऐसे में केजरीवाल और उनकी पार्टी इसे अपने लिए एक अवसर के तौर पर ले रही है। वहीं पहली बार राज्य की सभी 90 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले आम आदमी पार्टी चुनाव में अपने लिए बड़ी संभावना देख रही है।

ऐसे में अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आम आदमी पार्टी नए जोश और जुनून के साथ चुनावी मैदान में आ डटी है। ऐसे में केजरीवाल की पार्टी क्या हरियाणा विधानसभा चुनाव में किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है य़ा आम आदमी पार्टी चुनाव में भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ेगी, यह बड़ा सवाल है।

यहीं कराण है कि केजरीवाल की जेल से रिहाई से कांग्रेस और भाजपा की टेंशन बढ़ गई है। दरअसल आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान में आ जाने से चुनाव में सत्ता विरोधी वोटरों में बिखराव होगा और इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। आम आदमी पार्टी का चुनावी इतिहास भी बताता है कि जब-जब आम आदमी पार्टी का विस्तार हुआ है तब तक भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है। चुनाव में आम आदमी पार्टी पंजाब और दिल्ली से सटी सीटों पर अपना खास प्रभाव छोड़ सकती है। वहीं आम आदमी पार्टी की शहरी इलाकों में अच्छी पकड़ मानी जाती है, ऐसे में पार्टी भाजपा को भी नुकसान पहुंचा सकती है।

इसके साथ ही आम आदमी पार्टी ने हरियाणा चुनाव में कुछ ऐसे नेताओं को टिकट दिए हैं जो कांग्रेस और भाजपा से बगावत करके आए है। ऐसे में ये नाराज नेता भले ही चुनाव ना जीत पाए लेकिन कांग्रेस और बीजेपी का खेल जरूर बिगाड़ सकते हैं। वहीं आप पार्टी को हरियाणा में स्थापित होने में मदद मिल जाएगी। अब हरियाणा में आप को जिताने की जिम्मेदारी केजरीवाल के कंधों पर आ गई है। अगर पार्टी सीटें ना भी जीते तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों को नुकसान कर सकती है। शायद इसीलिए राहुल गांधी गठबंधन पर जोर दे रहे थे।

केजरीवाल की पार्टी बनेगी किंगमेकर?-2019 में आप ने हरियाणा विधान सभा की 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उसका प्रदर्शन कुछ खास नहीं था। लेकिन इस बार कहानी कुछ अलग है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार दो प्रमुख क्षेत्रीय इंडियन नेशनल लोकदल और जेजेपी अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे है। 2019 के विधानसभा चुनाव में 10 विधायकों के साथ किंगमेकर बनने वाली दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के प्रति लोगों ने नाराजगी नजर आ रही है। वहीं इंडियन नेशनल लोकदल में नेतृत्व का संकट और गुटबाजी उसके अस्तित्व के सामने चुनौती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी इसे अपने लिए एक मौके के तौर पर देख रही है। आम आदमी उन लोगों को एक अच्छे विकल्प की तरह दिखती है जो कांग्रेस या बीजेपी को वोट नहीं देना चाहते। इसलिए आम आदमी पार्टी को हरियाणा में अपने लिए काफी संभावना नजर आ रही है।
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