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Last Updated : सोमवार, 31 अक्टूबर 2016 (18:32 IST)

भोपाल सेंट्रल जेल से भागे 8 आतंकवादियों को पुलिस ने घेरकर मार गिराया

भोपाल सेंट्रल जेल से भागे 8 आतंकवादियों को पुलिस ने घेरकर मार गिराया - Eight SIMI terrorists escape from Bhopal Central jail
भोपाल। भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी के 8 आतंकवादी एक संतरी की हत्या करके रविवार रात करीब 2 बजे  फरार हो गए थे, लेकिन पुलिस ने तुरंत एक व्यापक अभियान चलाकर जेल से करीब 15 किलो‍मीटर दूर एक  मालीखेड़ा गांव में सभी आतंकवादियों को घेरकर आत्मसमर्पण करने को कहा, लेकिन आतंकवादियों ने पुलिस की चेतावनी को अनदेखा किया। बाद में पुलिस ने मुठभेड़ में इन सभी आतंकवादियों को मार गिराया गया है।


घटना से जुड़े लाइव अपडेट्स :

जेल से फरार आतंकवादियों के एनकाउंटर पर बोले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह... 
*शिवराज सिंह चौहान ने कहा की सिमी आतंकवादियों के फरार होने की घटना की जांच एएनआई करेगा
श्री चौहान ने अपनी कुछ मिनटों की पत्रकारवार्ता में बताया कि आज तड़के लगभग ढाई से तीन बजे के बीच भोपाल केंद्रीय जेल से सिमी आतंकवादियों के भागने की बेहद गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। ये आतंकवादी जेल विभाग के एक प्रधान आरक्षक की हत्या करके भागे थे। चूंकि आतंकवादियों का इस तरह जेल से भागना आम लोगों की सुरक्षा से जुडा मसला था इसलिए वह भी काफी चिंतित थे और लगातार घटनाक्रम पर नजर रखे हुए थे।
 
*मुख्यमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों के बारे में एक ग्रामीण की सूचना पर पुलिस ने उनकी घेराबंदी की और उन्हें मुठभेड में ढेर कर दिया। आतंकवादियों का मारा जाना निश्चित तौर पर आम जनता की सुरक्षा से जुडा मसला होने के कारण काफी राहत भरा रहा। उन्होंने मध्यप्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए ग्रामीण के साहस को भी प्रणाम किया। उन्होंने मुठभेड से संबंधित अन्य ब्यौरा देने से इंकार करते हुए कहा कि संबंधित पुलिस अधिकारी इस बारे में बताएंगे।
 
चौहान ने कहा कि राजधानी में स्थित जेल से इस तरह आठ आतंकवादियों का एक प्रहरी की हत्या करके भागना बेहद गंभीर मामला है। इसलिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) जेल को बदल दिया गया है। अब सुधीर शाही, सुशोभन बनर्जी के स्थान पर एडीजीपी जेल होंगे। बनर्जी को पीएचक्यू भोपाल भेजने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा उप महानिरीक्षक (डीआईजी) जेल, जेल अधीक्षक, जेल उप अधीक्षक और जेल सहायक अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया है।
 
*उन्होंने कहा कि इस संपूर्ण मामले की जांच राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे करेंगे और इसके आधार पर सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ी तो दोषी अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई भी की जाएगी। 
* इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस समय भोपाल जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर और उप अधीक्षक एल एस भदौरिया हैं। डीआईजी जेल के दो पद हैं। इन पर क्रमश: श्री मंशाराम पटेल और श्री संजय पांडे काबिज हैं। चौहान की पत्रकार वार्ता मात्र कुछ मिनट ही चली और सुरक्षा कारणों तथा तत्काल की घटना होने का हवाला देते हुए उन्होंने सवालों के जवाब नहीं दिए। इसके पहले जेल से भागने के बाद आतंकवादी भोपाल से कुछ दूर गुनगा थाना क्षेत्र में ईंटखेडी और अचारपुरा गांव के पास पहुंचे थे। कुछ ग्रामीणों ने इलाके में अज्ञात लोगों को देखकर पुलिस को सूचना दी और पहले से ही तैयार बैठी पुलिस भी तत्काल हरकत में आई और आतंकवादियों को पहाड़ पर ही घेर लिया। इस दौरान हुई मुठभेड़ में पुलिस ने आतंकवादियों को ढेर कर दिया। आठों आतंकवादियों के शव पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिए हैं। 

 
* बताया जा रहा है कि भोपाल पुलिस क्राइम ब्रांच और एसटीएफ के 11 जांबाजों ने इस एनकाउंटर को अंजाम दिया है।
 
* भोपाल के आईजी ने कहा कि आतंकवादियों के पास हथियार थे। आईजी योगेश चौधरी ने कहा कि आठों आतंकियों को सरेंडर करने के लिए कहा गया था। आतंकियों ने सरेंडर करने के बजाए पुलिस पर फायरिंग कर दी। आईजी ने बताया कि जवाबी फायरिंग में सभी आठ आतंकी मारे गए हैं। हालांकि, अभी ये साफ नहीं हो सका है कि आतंकियों को हथियार कहां से उपलब्ध हुए।  

 
* मध्यप्रदेश के सीएम ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को जानकारी दी।
 * केंद्र के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शिवराज सिंह से घटना की रिपोर्ट मांगी

* एनकाउंटर के बाद की औपचारिकताएं पूरी की जा रही है।
* मुठभेड़ स्थल को चारों तरफ से पुलिस ने घेर लिया है और आसपास के इलाकों की सघन तलाशी ली जा रही है। आशंका है कि जेल से भागने के बाद आतंकवादियों को सिमी से जुड़े बाहरी लोगों ने मदद की होगी।

* मध्यप्रदेश के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि जिस तरह से आतंकवादियों को घेरकर मध्यप्रदेश की पुलिस ने मार गिराया है वह बहुत ही प्रशंसनीय कार्य है। इसके लिए में उन्हें और शिवराज सिंह को बधाई देना चाहता हूं।

* पुलिस के दावे अनुसार ये आतंकी पूरी तैयारी के साथ भागे थे, हथियार भी जुटाए थे। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने ये हथियार जेल के अंदर जुटाए या बाहर।
 
*  इस एनकाउंटर को एसटीएफ की टीम ने अंजाम दिया। 
 
* पुलिस का कहना है कि इन आतंकियों के पास हथियार थे, क्रॉस फायरिंग हुई थी। 
 
* इन आतंकियों को पुलिस ने पहले आत्मसमर्पण के लिए कहा, और जब उन्होंने सरेंडर करने से इनकार किया तो मार गिराए गए।

*फरार होने के बाद ये आतंकवादी किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते थे। लेकिन पुलिस की मुस्तैदी की चलते इनके मंसूबों पर पानी फिर गया।

* एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अचारपुरा के पास खेजड़ा गांव की पहाड़ी पर पुलिस ने सभी आतंकवादियों को घेर लिया और उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहा लेकिन आतंकवादियों ने फायरिंग कर दी जिसके चलते पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में पुलिस और एसटीएस की कार्रवाई में मारे गए।

आतंकवादियों के नाम : एक अधिकारी ने बताया कि फरार आरोपियों की पहचान अमजद, जाकिर हुसैन सिद्दीक, मोहम्मद सालिक, मुजीब शेख, मेहबूब गुड्डू, मोहम्मद खालिद अहमद, अकील और माजिद के तौर पर हुई है।।इनमें से कुछ आतंकी 2013 में भी खंडवा की जेल तोड़कर फरार हुए थे जिन्हें फिर से पकड़ा गया था।

इस तरह घेरा आतंकवादियों को : मध्यप्रदेश के गृहमंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि भोपाल जेल से फरार सभी आठ सिमी आतंकी भोपाल के निकट मालीखेड़ा में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए।.. बताया जाता है कि फरार हुए आतंकवादियों को खोजने के लिए सघन अभियान छेडा गया था। इसमें आतंकवादी निरोधक दस्ता (एटीएस) और जिला पुलिस बल के जांबाज अधिकारी और कर्मचारी शामिल हुए थे।
 
उन्होंने बताया कि इस बीच सुबह भोपाल के बाहरी क्षेत्र अचारपुरा गांव के पास कुछ लोगों के होने की सूचना मिली। एक नदी में अपने हाथ मुंह धो रहे थे तब स्थानीय लोगों ने उन्हें देखकर पुलिस को इसकी सूचना दी। इस पर पुलिस तत्काल सक्रिय हुई और खेचड़ा के पास एक पहाड़ी पर आतंकवादियों को घेर लिया गया। आतंकवादियों ने पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। पुलिस ने आतंकवादियों से सरेंडर करने के लिए कहा लेकिन आतंकवादियों के पास हथियार भी थे। जवाब में पुलिस ने भी ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं जिसमें आठों आतंकवादी ढेर हो गए। पुलिस की इस कार्रवाई की सभी ओर प्रशंसा की जा रही है।

ऐसे भागे थे आतंकवादी : भोपाल की सेंट्रल जेल से दीपावली की रात का फायदा उठाकर 2 बजे इन आतंकवादियों ने अपनी योजना को अंजाम दिया। चूंकि दिवाली होने के कारण जेल में स्टाफ कम रहता है इसी का उन्होंने फायदा उठाया। सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी बदलने के दौरान इन आतंकवादियों ने सबसे पहले एक आरक्षक को बंधक बनाया फिर प्रधान आरक्षक रमाशंकर की कला रेतकर हत्या कर दी थी। हत्या के लिए कैदियों ने कोई धारदार वस्तु का इस्तेमाल किया था। इसके बाद इन्होंने जेल की चादर की रस्सी बनाकर उसकी सीढ़ियां बनाई और फिर दीवार फांदकर भाग गए थे।

भोपाल के डीआईजी रमन सिंह ने बताया, 'सिमी के आठ कार्यकर्ता तड़के करीब दो से तीन बजे के बीच एक सुरक्षा गार्ड की हत्या करने के बाद जेल से फरार हो गए।' उन्होंने बताया कि 'द स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया' के कार्यकर्ताओं ने एक सुरक्षा गार्ड की हत्या कर दी और उसके बाद वे चादरों की मदद से जेल की दीवार लांघ कर वहां से फरार हो गए।
 
डीआईजी ने बताया कि उन्होंने पहले गार्ड को घेर कर अपने कब्जे में लिया और फिर स्टील की प्लेट से उसका गला काट कर उसे मार डाला। उन्होंने बताया कि विस्तृत जानकारी अभी आनी बाकी हैं। फरार कार्यकर्ताओं की खोज के लिए अभियान शुरू कर दिया गया है।

सरकार की प्रतिक्रिया : इससे पहे केंद्र के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने शिवराज सिंह से रिपोर्ट मांगी। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि लापरवाही राजद्रोह जैसा अपराध है। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का फरार होना गंभीर बात है, जांच के आदेश दिए हैं। पूर्व डीजीपी करेंगे मामले की जांच राज्य के गृह मंत्री ने बताया कि घटना के दौरान जेल में तैनात अधिकारियों को लापरवाही के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। फरार आतंकियों पर सरकार ने 5-5 लाख का इनाम रख दिया है। 

दिग्विजय सिंह का बयान : इस घटना के बाद कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकारी जेल से भागे हैं या किसी योजना के तहत भगाए गए हैं? जांच का विषय होना चाहिए। दिग्विजय सिंह ने यहां सिमी की बजरंग दल से तुलना करते हुए कहा कि दंगा फसाद ना हो इस पर प्रशासन को नजर रखनी पड़ेगी. दोनों मिलकर दंगे कराते हैं। खंडवा से भी जेल तोड़कर सिमी के लोग भागे और भोपाल की जेल से भी भागे। सिमी और बजरंग दल पर मैंने प्रतिबंध लगाने की सिफारिश तत्कालीन एनडीए सरकार से की थी, उन्होंने सिमी पर तो लगा दिया लेकिन बजरंग दल पर नहीं लगाया।

कौन है सिमी  : गौरतलब है कि स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर 2002 में प्रतिबिंध लगा दिया गया था।  अगस्त 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण में सिमी पर प्रतिबंध हटा लिया फिर ये प्रतिबंध बाद में भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा 6 अगस्त 2008 पर बहाल किया गया जो अभी तक जारी है।
 
माना जाता है कि छात्र संघ की राजनीति से खुद को एक आतंकवादी संगठन में बदलने के के बाद इनके कार्यकर्ता जगह जगह सम्मेलन करके मुसलमानों को आतंकवाद के लिए प्रेरित करने लगे थे। बाद में इस संगठन ने कई आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया। इसी के चलते 2001 में प्रतिबंध लगने के बाद भी यह संगठन कभी निष्क्रिय नहीं हुआ और पिछ्ले दो तीन वर्षों में देश में हुई बडी आतंकवादी घटनाओं में इसका हाथ रहा है या इसी संगठन ने उन्हें अंजाम दिया है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में इसके साधारण छुपे हुए सदस्यों की संख्या लाखों में है जो माओवादी, नक्सलवादी और पाकिस्तानी आतंकवादियों के संपर्क में रहते हैं।

भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठनों में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, हरकत उल मुजाहिदीन, हरकत-उल-अंसार, हरकत-उल-जेहाद-ए-इस्लामी, हिजबुल मुजाहिदीन, अल उमर मुजाहिदीन, जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट, दीनदार अंजुमन, अल बदर, जमात उल मुजाहिदीन, अल कायदा, दुख्तरान-ए-मिल्लत और इंडियन मुजाहिदीन के नाम भी शामिल हैं।