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Last Updated : सोमवार, 2 जनवरी 2023 (15:15 IST)

नोटबंदी का फैसला गलत था, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने उठाए फैसले पर सवाल

Justice Nagratna
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश बीवी नागरत्ना ने कहा कि 500 और 1000 रुपए की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने का फैसला गजट अधिसूचना के बजाए कानून के जरिए लिया जाना चाहिए था क्योंकि इतने महत्वपूर्ण मामले से संसद को अलग नहीं रखा जा सकता। हालांकि बहुमत के आधार पर अदालत ने सरकार के फैसले को सही ठहराया है। 
 
उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपए की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराया, हालांकि न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने सरकार के फैसले पर कई सवाल उठाए हैं।
 
न्यायमूर्ति एसए नज़ीर की अध्यक्षता वाली इस पीठ में न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना के अलावा न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन भी शामिल हैं।
 
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि केंद्र के कहने पर नोटों की एक पूरी श्रृंखला को बंद करना एक गंभीर मुद्दा है, जिसका अर्थव्यवस्था और देश के नागरिकों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।
 
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने इस मामले में स्वतंत्र रूप से विचार नहीं किया, उससे सिर्फ राय मांगी गई जिसे केंद्रीय बैंक की सिफारिश नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि पूरी कवायद 24 घंटे में कर डाली।
 
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि केंद्र सरकार के अधिकार व्यापक हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल कानून के जरिए होना चाहिए, अधिसूचना जारी करके नहीं। यह जरूरी है कि संसद जो देश की जनता का प्रतिनिधित्व करती है वहां इस मामले पर चर्चा हो और वही इसकी मंजूरी दे।
 
न्यायाधीश ने कहा कि केंद्र ने इसका प्रस्ताव तैयार किया अैर उस पर आरबीआई की राय मांगी गई और केंद्रीय बैंक द्वारा दिए ऐसे सुझाव को आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत सिफारिश नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि संसद को अक्सर देश का प्रतिबिंब माना जाता है।
 
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि यह लोकतंत्र का आधार है। संसद देश के लोगों का प्रतिनिधित्व करती है और उनकी आवाज उठाती है। संसद के बिना लोकतंत्र फल-फूल नहीं सकता। संसद जो कि लोकतंत्र का केंद्र है उसे ऐसे महत्वपूर्ण मामले में अलग नहीं रखा जा सकता। उन्होंने अल्पमत फैसले में कहा कि 500 और 1000 की श्रृंखला वाले नोट को बंद करने का फैसला गलत और गैरकानूनी था।
 
उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के 2016 में 500 और 1000 रुपए की श्रृंखला वाले नोटों को बंद करने के फैसले को सोमवार को 4:1 के बहुमत के साथ सही ठहराते हुए कहा था कि नोटबंदी का फैसला लेने की प्रक्रिया में कोई खामी नहीं थी। शीर्ष अदालत केंद्र के नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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