भारत-चीन संबंध पर बोले रक्षामंत्री राजनाथ, इस मुद्दे से निपट रहे हैं दोनों देश...
लेह-लद्दाख। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत और चीन के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध हैं और सीमा के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच धारणागत मतभेद है लेकिन दोनों पक्ष बहुत परिपक्वता के साथ इस मुद्दे से निपट रहे हैं। सिंह पूर्वी लद्दाख में श्योक नदी पर ‘कर्नल चेवांग रिनचिन सेतु’ के उद्घाटन के मौके पर एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
यह देश का सबसे अधिक ऊंचाई पर हर मौसम में काम में आने वाला स्थाई पुल है। अधिकारियों ने बताया कि इस पुल का निर्माण सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने दुर्बुक और दौलत बेग ओल्डी के बीच किया है और इससे यात्रा समय आधा हो जाएगा।
सिंह ने कहा, सड़क चीन के साथ लगती सीमा तक जाती है। अब भारत और चीन के संबंध अच्छे हैं। हाल में चीन के राष्ट्रपति (शी चिनफिंग) ने महाबलीपुरम में हमारे प्रधानमंत्री के साथ लंबी बैठक की, लेकिन उन्होंने कश्मीर मुद्दे का जिक्र नहीं किया, क्योंकि चीन इसे एक आंतरिक मामला मानता है।
रक्षामंत्री ने कहा कि चीन द्वारा सभी देशों से आतंकवाद से समन्वित तरीके से लड़ने को लेकर दिए बयान का स्वागत किया गया है। यह पुल भारत-चीन सीमा से करीब 45 किलोमीटर दूर स्थित है। बाद में सिंह ने ट्वीट भी किया, भारत के चीन के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हैं। दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दे को लेकर धारणागत मतभेद हैं लेकिन इस मुद्दे को काफी परिपक्वता और जिम्मेदार तरीके से निपटा जा रहा है।
उन्होंने कहा, दोनों देशों ने स्थिति को बढ़ने या नियंत्रण से बाहर जाने नहीं दिया है। सिंह ने अपने संबोधन में कहा, सीमा मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच धारणागत मतभेद हैं लेकिन दोनों देशों के रक्षा बल बहुत समझदारी से अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं।
श्योक नदी पर 1400 फुट लंबा पुल 14,650 फुट की ऊंचाई पर सब सेक्टर नार्थ में स्थित है और इसका नामकरण कर्नल चेवांग रिनचिन के नाम पर किया गया है। इस पुल को एक कार्यक्रम में देश को समर्पित किया गया। इस समारोह में सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और 2 बार महावीर चक्र से सम्मानित दिवंगत सैन्य अधिकारी रिनचिन की पुत्री एवं पोती भी शामिल हुईं।
यह पुल लेह और काराकोरम दर्रे के बीच स्थित सड़क के 255 किलोमीटर लंबे दुर्बुक श्योग दौलत बेग ओल्डी सेक्शन पर स्थित है। लद्दाख से सांसद जाम्यांग सेरिंग नाम्ग्याल ने कहा, यह पुल बहुत रणनीतिक स्थल पर स्थित है और यह मूल रेशम मार्ग पर है। यह सेना के आधारभूत ढांचे के साथ ही व्यापार को भी बढ़ावा दे सकता है।