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Last Modified: मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023 (19:11 IST)

बुरे फंसे भागवत, बिहार कोर्ट में शिकायत दर्ज, कानपुर से लेकर इंदौर तक विरोध

बुरे फंसे भागवत, बिहार कोर्ट में शिकायत दर्ज, कानपुर से लेकर इंदौर तक विरोध - Complaint against Bhagwat in Bihar court
नई दिल्ली। ब्राह्मणों पर बयान देकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत बुरे फंस गए हैं। कानपुर से लेकर इंदौर तक ब्राह्मण समाज के लोग उनके विरोध में उतर आए हैं, वहीं बिहार की अदालत में भी उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है संघ प्रमुख ने ब्राह्मणों का अपमान किया है। 
 
वकील सुधीर कुमार ओझा ने मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में उक्त याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने रविवार को मुंबई में भागवत के संबोधन की मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया, जहां वह मध्यकालीन कवि संत रविदास की जयंती के अवसर पर आयोजित एक समारोह में भाग ले रहे थे।
 
ओझा ने अपनी याचिका में आग्रह किया है कि भागवत के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और सार्वजनिक शांति भंग करने से संबंधित भादंवि की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाए। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 20 फरवरी की तारीख तय की है।
 
कानपुर में धरना : दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश के कानपुर में ब्राह्मण महासभा द्वारा भागवत के खिलाफ धरना दिया गया। शहर के निराला नगर में हनुमान चालीसा का पाठ करने के साथ ही उनको सद्बुद्धि के लिए पूजा-पाठ किया गया।
 
ब्राह्मण समाज पर आरोप तथ्यहीन : इंदौर के कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने भागवत से आग्रह किया है कि वे ब्राह्मण समाज से माफी मांगें। पूरे देश और समाज को राह दिखाने वाले ब्राह्मण समाज पर आरोप लगाना तथ्यहीन है। संघ प्रमुख शायद यह भूल गए कि हमारे देश में अनादि काल से वर्ण व्यवस्था प्रभावी रही है। शुक्ला ने कहा कि यह संभव है कि भावावेश में संघ प्रमुख के द्वारा यह बात कह दी गई हो। 
 
क्या कहा था भागवत ने : मुंबई में मराठी में अपने संबोधन के दौरान संघ प्रमुख ने हिंदू समाज में व्याप्त जाति पदानुक्रम के लिए ‘पंडितों’ (पुरोहित वर्ग) को दोषी ठहराया था। मीडिया की खबरों के मुताबिक भागवत द्वारा ‘ब्राह्मण समुदाय’ के बारे में बात की गई थी, जो पूजा-पाठ से जुड़े रहे हैं।
 
संघ की सफाई : हालांकि संघ ने इस बात से स्पष्ट इंकार किया है कि संघ प्रमुख ने किसी विशेष जाति का उल्लेख किया था। उन्होंने ‘पंडित’ शब्द का उपयोग ज्ञानियों के लिए किया था न कि किसी ‍जाति विशेष के लिए। 
 
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