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Last Modified: मंगलवार, 5 नवंबर 2024 (07:47 IST)

CJI चंद्रचूड़ बोले, गणपति पूजा पर प्रधानमंत्री का मेरे घर आने में कुछ भी गलत नहीं था

CJI चंद्रचूड़ बोले, गणपति पूजा पर प्रधानमंत्री का मेरे घर आने में कुछ भी गलत नहीं था - CJI on PM Modi visit to his residence for Ganpati Puja
CJI Chandrachud :  प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़़ ने कहा कि गणपति पूजा पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उनके आधिकारिक आवास पर आने में कुछ भी गलत नहीं था। ऐसे मुद्दों पर राजनीतिक हल्कों में परिपक्वता की भावना की जरूरत है।
 
सीजेआई चंद्रचूड़ ने इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि इस बात का सम्मान किया जाना चाहिए कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संवाद मजबूत अंतर-संस्थागत तंत्र के तहत होता है और दोनों की शक्तियों के पृथक्करण का मतलब यह नहीं है कि वे एक-दूसरे से मिलेंगे नहीं।
 
उन्होंने कहा कि शक्तियों के पृथक्करण की अवधारणा का यह अर्थ नहीं है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका इस भावना में एक-दूसरे से अलग हैं कि वे मिलेंगे नहीं या तर्कसंगत संवाद नहीं करेंगे। राज्यों में, मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति का मुख्यमंत्री से मिलने और मुख्यमंत्री के मुख्य न्यायाधीश से उनके आवास पर मिलने का एक प्रोटोकॉल है। इनमें से अधिकांश बैठकों में बजट, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी आदि जैसे बुनियादी मुद्दों पर चर्चा की जाती है।
 
सीजेआई ने प्रधानमंत्री के उनके आवास पर आने के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री गणपति पूजा के लिए मेरे घर आए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है क्योंकि सामाजिक स्तर पर न्यायपालिका और कार्यपालिका से जुड़े व्यक्तियों के बीच निरंतर बैठकें होती हैं। हम राष्ट्रपति भवन में, गणतंत्र दिवस आदि पर मिलते हैं। हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों से बात करते हैं। इस दौरान उन मामलों पर बात नहीं होती, जिनपर हमें फैसला लेना होता है, बल्कि सामान्य रूप से जीवन और समाज से जुड़े मामलों पर बात होती है।
 
प्रधानमंत्री के प्रधान न्यायाधीश के आवास पर जाने के बाद कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों और वकीलों के एक वर्ग ने इसके औचित्य और न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण को लेकर चिंता जताई थी। दूसरी ओर भाजपा ने आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए कहा था कि यह देश की संस्कृति का हिस्सा है।
 
10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे सीजेआई ने कहा कि इसे समझने और अपने न्यायाधीशों पर भरोसा करने के लिए राजनीतिक व्यवस्था में परिपक्वता की भावना होनी चाहिए, क्योंकि हम जो काम करते हैं उसका मूल्यांकन हमारे लिखित शब्दों से होता है। हम जो भी निर्णय लेते हैं उसे गुप्त नहीं रखा जाता है और उसपर खुलकर चर्चा की जा सकती है।
 
उन्होंने कहा कि प्रशासनिक स्तर पर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच होने वाली बातचीत का न्यायिक पक्ष से कोई लेना-देना नहीं है। शक्तियों के पृथक्करण में यह प्रावधान है कि न्यायपालिका को कार्यपालिका की भूमिका नहीं निभानी चाहिए जो नीतियां निर्धारित करती है, क्योंकि नीति निर्धारण की शक्ति सरकार के पास है। इसी तरह कार्यपालिका अदालती मामलों पर निर्णय नहीं करती। बातचीत होनी चाहिए क्योंकि आप न्यायपालिका में लोगों के भविष्य और जीवन के बारे में फैसला कर रहे होते हैं।
 
उन्होंने कहा कि सीजेआई के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, मैंने जमानत मामलों को प्राथमिकता देने का फैसला किया क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है। यह निर्णय लिया गया कि शीर्ष अदालत की प्रत्येक पीठ को कम से कम 10 जमानत मामलों की सुनवाई करनी चाहिए। नौ नवंबर, 2022 और एक नवंबर, 2024 के बीच उच्चतम न्यायालय में 21,000 जमानत याचिकाएं दायर की गईं। इस अवधि के दौरान 21,358 जमानत याचिकाओं का निस्तारण किया गया। (भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta